इन जानवरों का शिकार है बैन, जानिए बेजुबानों के लिए बने कानून की बारीकियां

नई दिल्ली। कांकाणी काला हिरण शिकार के मामले में जोधपुर कोर्ट ने बॉलीवुड स्टार सलमान खान को दोषी करार दते हुए हुए 5 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने सलमान पर 10 हजार का जुर्माना भी लगाया है। वहीँ अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया है। सलमान को सजा के बीच आपको भी देश के वन्य जीव संरक्षण कानून के बारे में जान लेना चाहिए।

वन्य जीव संरक्षण कानून

वन्यजीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाने के मकसद से भारतीय वन्य जीव संरक्षण कानून वर्ष 1972 में भारत सरकार ने पारित किया था। इसके तहत दंड और जुर्माना को कहीं कठोर कर दिया गया। इसे वर्ष 2003 में संशोधित किया गया। तब इसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रखा गया।

सिर्फ जंगली जानवरों पर ही नहीं

यह कानून केवल जंगली जानवरों ही नहीं, बल्कि सूचीबद्ध पक्षियों और पौधों को भी संरक्षण प्रदान करता है। हालांकि जम्मू और कश्मीर में अपना वन्य कानून है।

कानून ने दी सुरक्षा

कुल छह अनुसूचियां हैं। जो अलग-अलग तरह से वन्यजीवन को सुरक्षा प्रदान करता है।

अनुसूची-1 और अनुसूची-2 – इसके द्वितीय भाग वन्यजीवन को पूरी सुरक्षा प्रदान करते हैं। इनके तहत अपराधों के लिए कड़ा दंड तय है।

अनुसूची-3 और अनुसूची-4- इसके तहत भी वन्य जानवरों को संरक्षण प्रदान किया जाता है लेकिन इस सूची में आने वाले जानवरों और पक्षियों के शिकार पर दंड बहुत कम हैं।

अनुसूची-5 – इस सूची में उन जानवरों को शामिल किया गया है, जिनका शिकार हो सकता है।

अनुसूची 6- इसमें दुलर्भ पौधों और पेडों पर खेती और रोपण पर रोक है।

क्या है दंड

अगर सूची एक और सूची दो में आने वाले जानवरों का शिकार किया गया है तो उसमें कम से कम तीन साल के जेल का प्रावधान है, हालांकि इस सजा को सात साल तक बढाया जा सकता है। कम से कम दस हजार रुपए जुर्माना हो सकता है।

न्यूनतम सजा – तीन साल

अधिकतम सजा – सात साल

न्यूनतम आर्थिक दंड – दस हजार रुपए

अधिकतम जुर्माना – 25 लाख रुपए

दूसरी बार अपराध करने पर भी इतनी ही सजा का प्रावधान। लेकिन कम से कम जुर्माना 25 हजार रुपए तक हो सकता है।

घर में रखना भी अपराध

जानवरों की खाल या फिर गलीचा इकट्ठा करना अपराध है। जिसमें एक से लेकर 25 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

जुर्माने का नया प्रस्ताव

जंगली जानवरों के बढ़ते शिकार के कारण पर्यावरण मंत्रालय ने नया प्रस्ताव रखा है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 60 फीसदी बाघ रहते हैं, जिसमें साल 2015 में 78 बाघों का शिकार हो चुका है। अब तक शिकार करने पर 25 हजार तक का जुर्माने का प्रावधान है लेकिन अब ये 50 लाख तक हो सकता है।

अनसूची एक क्या है

अनुसूची एक में 43 वन्य जीव शामिल हैं। जिसमें धारा 2, धारा 8, धारा 9, धारा 11, धारा 40, धारा 41, धारा 43, धारा 48, धारा 51, धारा 61 और धारा 62 के तहत दंड मिल सकता है।

इस सूची में सुअर से लेकर कई तरह के हिरण, बंदर, भालू, चिकारा, तेंदुआ, लंगूर, भेड़िया, लोमड़ी, डॉलफिन, कई तरह की जंगली बिल्लियों, बारहसिंगा, बड़ी गिलहरी, पेंगोलिन, गैंडा, ऊदबिलाव, रीछ और हिमालय पर पाए जाने वाले कई जानवरों के नाम शामिल हैं।

अनुसूची एक के भाग दो में कई जलीय जन्तु और सरीसृप हैं।

इस अनुसूची के चार भाग हैं

अनुसूची दो भी जानिए

इस अनुसूची में शामिल वन्य जंतुओं के शिकार पर धारा 2, धारा 8, धारा 9, धारा 11, धारा 40, धारा 41 धारा 43, धारा 48, धारा 51, धारा 61 और धारा 62 के तहत सजा का प्रावधान है।

इस सूची के भाग एक में कई तरह के बंदर, लंगूर, सेही, जंगली कुत्ता, गिरगिट आदि शामिल हैं

सूची के भाग दो में अगोनोट्रेचस एण्ड्रयूएसी, अमर फूसी, अमर एलिगनफुला, ब्रचिनस एक्ट्रिपोनिस और कई तरह के जानवर शामिल हैं।

साभार : न्यूज़ 18 

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