2019 तक हर किसी को मिलेगी 24×7 बिजली, गुल हुई तो कंपनियों पर लगेगा जुर्माना

भारत सरकारनई दिल्ली। भारत सरकार, 2019 तक देश भर में हर किसी को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए एक नई योजना तैयार कर रही है। इस योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों के खिलाफ सख्त कानून का भी प्रावधान बनाया जा रहा है। गुरुवार को बिजली मंत्री आर. के. सिंह ने कहा कि अनावश्यक बिजली कटौती को लेकर सरकार ये नया रोड मैप तैयार कर रही है।

बिजली मंत्री आर. के. सिंह ने कहा कि “यह पेनल्टीज सरकार के उस रोड मैप का हिस्सा है, जो सभी को निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति करने के लिए तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘मार्च 2019 से सभी को 24×7 बिजली देने के सरकार के विजन को पूरा करने के लिए एक रोड मैप तैयार किया जा रहा है। सिंह ने कहा, ‘हमने बिजली वितरण (वाणिज्यिक और तकनीकी) हानि को कम किया है। वर्ष 2019 तक सभी को 24 घंटे बिजली उपलब्ध करने के लिए यह जरूरी है।’

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आपको बता दें कि, अगर 2019 के बाद कोई अनावश्यक बिजली कटौती होती है तो वितरण कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसमें दैवीय और तकनीकी कारणों को शामिल नहीं किया जाएगा।’

सिंह ने कहा, “हम ह्यूमन इंटरफेस को खत्म करेंगे और ग्राहक अपनी जरूरत के हिसाब से उतनी ही बिजली के लिए मोबाइल से भुगतान करेंगे। इसके अतिरिक्त यह अनिवार्य बनाया जाएगा कि वितरण कंपनियां बिलिंग लॉस को ग्राहकों से वसूल न कर सकें”।’ “लोगों को लगातार बिजली देने के वितरण कंपनियों के नैतिक दायित्व को अब इलेक्ट्रिसिटी ऐक्ट, 2003 के जरिए बाध्यकारी सेवा दायित्व बनाया जाएगा”। “मैन्युअल मीटर रीडिंग का कोई सिस्टम नहीं होगा”।

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सिंह ने 2018 तक 4 करोड़ परिवारों को बिजली कनेक्शन प्रदान करने के लिए सौभाग्य योजना शुरू करने की भी अपील की। पर इस तरह आपूर्ति में वृद्धि होने पर वितरण में हानि का बढ़ना भी संभव है, लेकिन हम इन घाटों को कम करने के लिए लगातार करदाताओं के पैसों पर निर्भर नहीं रह सकते।’ बिजली मंत्री ने कहा कि यहां 16-17 राज्य ऐसे हैं, जिनमें वितरण के दौरान बिजली की हानि 15 प्रतिशत से अधिक है।

सौभाग्य योजना पर उन्होंने कहा, ‘हमने 2018 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा है। हमें इसे पूरा करना है। हमने राज्यों में बिजली वितरण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 9वीं पंचवर्षीय योजना से लेकर अब तक 90,000 करोड़ से अधिक दिया है। हम विभिन्न योजनाओं के तहत धन उपलब्ध करा रहे हैं। वर्तमान में, किसी भी राज्य ने सौभाग्य योजना के तहत अपना प्रस्ताव पेश नहीं किया है। केंद्र ने इस योजना के तहत 16,320 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।’

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