India-US Trade Deal: ट्रंप की समयसीमा से पहले भारत के लिए निवेश और हथियार खरीद हो सकता है रास्ता

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा व्यापारिक साझेदारों को दी गई 1 अगस्त की समयसीमा नजदीक है, और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर चर्चाएं तेज हैं। ट्रंप प्रशासन भारत पर यूरोपीय संघ (ईयू) और जापान की तर्ज पर विशिष्ट निवेश और उच्च-मूल्य वाली खरीद, खासकर हथियारों की खरीद, की प्रतिबद्धता का दबाव बना रहा है। यह भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े निवेश और रक्षा सौदों के जरिए भारत उच्च टैरिफ से बचने का रास्ता निकाल सकता है।

मुख्य बिंदु और भारत की रणनीति

  1. अमेरिका की मांग: ट्रंप प्रशासन भारतीय बाजारों में शून्य शुल्क पहुंच चाहता है, जैसा कि इंडोनेशिया के साथ हुए समझौते में हासिल किया गया, जिसमें अमेरिकी उत्पादों पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा। भारत, हालांकि, अपने निर्यात पर 15% से कम टैरिफ दर सुनिश्चित करने की कोशिश में है, जो इंडोनेशिया (19%) और वियतनाम (20%) से बेहतर हो।
  2. निवेश और हथियार खरीद: ट्रंप की रणनीति में निवेश प्रतिबद्धताएं और उच्च-मूल्य वाली खरीद (जैसे अमेरिकी हथियार या बोइंग विमान) शामिल हैं, जैसा कि इंडोनेशिया ने $15 बिलियन ऊर्जा और $4.5 बिलियन कृषि उत्पाद खरीद के वादे के साथ किया। भारत भी ऐसी प्रतिबद्धताओं के जरिए टैरिफ में छूट हासिल कर सकता है। उदाहरण के लिए, भारत पहले ही अमेरिकी उत्पादों जैसे बोरबन व्हिस्की और मोटरसाइकिल पर टैरिफ कम कर चुका है।
  3. कृषि और डेयरी पर अड़चन: भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को समझौते से बाहर रखने में सफलता पाई है, क्योंकि ये क्षेत्र 70 करोड़ से अधिक ग्रामीण आबादी के लिए संवेदनशील हैं। हालांकि, स्टील और एल्युमीनियम पर अतिरिक्त टैरिफ (25%) और गैर-टैरिफ बाधाएं जैसे भारत के क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (QCO) वार्ता में जटिलता बढ़ा रहे हैं।
  4. ब्रिक्स और रूसी तेल: ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर रूसी तेल खरीद के लिए 100% टैरिफ की धमकी दी है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि भारत रूस से सस्ता तेल आयात करता है। भारतीय वार्ताकार इस मुद्दे को समझौते से अलग रखने की कोशिश कर रहे हैं।

आगे की राह:
भारत और अमेरिका के बीच अगले दौर की बातचीत के लिए अमेरिकी टीम 25 अगस्त को भारत आएगी। दोनों देश सितंबर-अक्टूबर तक एक अंतरिम समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। भारत ने ऑटो पार्ट्स और फार्मास्यूटिकल्स पर टैरिफ कम करने की पेशकश की है, लेकिन बदले में स्टील, ऑटो पार्ट्स और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में रियायतें चाहता है।

ट्रंप की टैरिफ नीति, जिसे उन्होंने राष्ट्रीय आपातकाल के तहत लागू किया, वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर रही है। भारत, जो अमेरिका के साथ $190 बिलियन का व्यापार करता है, इस स्थिति में रणनीतिक रूप से लाभ उठाने की स्थिति में है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की मल्टी-अलाइनमेंट रणनीति और अन्य देशों (यूके, ईएफटीए) के साथ हाल के व्यापार समझौते उसे अमेरिका के साथ सौदेबाजी में मजबूती देते हैं।

भारत के लिए उच्च टैरिफ से बचने का रास्ता बड़े निवेश, रक्षा सौदों, और चुनिंदा क्षेत्रों में रियायतों के जरिए संभव है। हालांकि, कृषि, डेयरी, और रूसी तेल जैसे मुद्दे वार्ता में चुनौती बने हुए हैं। भारत की रणनीति राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए संतुलित समझौता हासिल करने की है, ताकि वह क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों जैसे वियतनाम और इंडोनेशिया से बेहतर स्थिति में रहे।

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