जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत ने दिया ये ‘मास्टर प्लान’, UN में मिली वाहवाही

संयुक्त राष्ट्र। भारत ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में परमाणु ऊर्जा बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही भारत ने परमाणु ऊर्जा के बढ़ते विरोध और कुछ देशों में परमाणु विद्युत संयंत्रों को हटाने की योजनाओं के बीच इसकी सार्वजनिक स्वीकार्यता को बढ़ावा देने के प्रयासों का समर्थन करने का सुझाव दिया है।

जलवायु परिवर्तन

संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन के प्रथम सचिव संदीप कुमार बय्यापू ने शुक्रवार को महासभा को बताया, “ऊर्जा की बढ़ी मांग की चुनौतियों से निपटने, जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को दूर करने, जीवाश्म ईंधन की उठती-गिरती कीमतों से निपटने और ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए परमाणु ऊर्जा एक महत्वपूर्ण विकल्प बना हुआ है।”

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उन्होंने कहा कि इसलिए अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) को परमाणु ऊर्जा की सार्वजनिक स्वीकार्यता विकसित करने वाले देशों के प्रयासों का समर्थन करना चाहिए और परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों को शुरू या उसमें विस्तार करने में उनकी मदद जारी रखनी चाहिए।

परमाणु संयंत्र, कोयला और अन्य ईंधनों से चलने वाले विद्युत संयंत्रों की तरह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करते हैं, इसलिए ये जलवायु परिवर्तन में योगदान किए बिना बिजली उत्पादन को बढ़ा सकते हैं।

ये बिजली की निरंतर आपूर्ति मुहैया करा सकते हैं, क्योंकि सौर व पवन ऊर्जा स्रोतों से अलग परमाणु संयंत्र वहां भी संचालित हो सकते हैं, जहां सूर्य और हवा नहीं हैं।

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आईएईए की वार्षिक रपट पर बहस के दौरान उन्होंने परमाणु संयंत्रों पर अन्य आपत्तियों के लिए थोरियम आधारित प्रौद्योगिकी को समाधान के रूप में पेश किया।

बय्यापू ने कहा कि थोरियम आधारित ईंधन चक्र और तकनीक स्वाभाविक रूप से हथियार उत्पादन में इस्तेमाल करने में कम योग्य हैं और यह उन्नत सुरक्षा सुविधाएं भी प्रदान कर सकती हैं।

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