मदरसों में ड्रेस कोड लागू होने के फरमान से गुस्साए लोगो ने कही यह बात

रिपोर्ट- अखिल श्रीवास्तव

रायबरेली। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मदरसों में एक तरफ हिंदी व अंग्रेजी के सब्जेक्ट अनिवार्य कर दिए वहीं अब मदरसों में ड्रेस कोड लागू होने के फरमान से प्रदेश भर के मदरसों में हड़कंप मच गया है। इस सब को लेकर सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में जब मदरसों में तैनात शिक्षकों व छात्रो से बात की गई तो लोग इससे काफी नाराज दिख रहे है।

मदरसा

लोगो का कहना है कि मुस्लिम धर्म में शरीयत के अनुसार छात्रों को कुर्ता पैजामा व छात्राओं को सलवार सूट ही पहनना बताया गया है पर अगर योगी सरकार ऐसा करती है तो यह मुस्लिम धर्म के लोगो पर धर्म के खिलाफ ड्रेसकोड जबरन लागू करना होगा।

दरअसल जब से मदरसों में ड्रेसकोड लागू होने की चर्चाओं से माहौल गर्म हुआ है तभी से रायबरेली के मदरसों में शिक्षकों के साथ साथ छात्र- छात्राओ के साथ ही परिवार के लोग भी इस बात को लेकर परेशान है। इन सब को लेकर ऊँचाहार तहसील के मदरसों में छात्र- छत्राओ के साथ साथ वहां पर पढ़ा रहे शिक्षकों से बात की गई तो उनका कहना है कि जब योगी सरकार ने मदरसों में हिंदी व अंग्रेजी के विषय पढ़ाने के लिए अनिवार्य किया था तो सबको खुशी हुई थी की चलो बच्चों को एक ही संस्थान से सारी शिक्षाएं मिल जायेगी और बच्चों को इधर उधर पढ़ाई को लेकर भटकना नही पड़ेगा लेकिन जब से हम लोगो को यह सुनने में आया कि अब मदरसों में कुर्ते पैजामे की जगह ड्रेसकोड लागू होने जा रहा है तब से हम सब परेशान है क्योंकि इस्लाम धर्म मे शरीयत के अनुसार छात्रो को कुर्ता पैजामा व छत्राओ के लिए सलवार सूट पहनने की प्रथा है।

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लोगो का मानना है की हामरे पैगम्बर मोहम्मद साहब ने इन्ही पोशाकों को पहनने की बात कही थी पर ये तो योगी सरकार शरीयत के खिलाफ पेंट-शर्ट लागू करती है ये गलत है और सबका साथ और सबका विकास की बात करने वाली  सरकार को चाहिए कि किसी भी धर्म के पहनावे में कोई बदलाव न करे। अगर वो इस बात को नहीं मानते तो हम लोगो को लगेगा कि सरकार का  जो नारा है सबका साथ सबका विकास वो सिर्फ एक छलावा है और कुछ नही।

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