मकान बनवाते समय करें वास्तु पुरुष को प्रसन्न, घर में बनी रहेंगी खुशियां

 वास्तु पुरूषसभी का सपना होता है कि वह ऐसे घर में रहे, जिसमें सुख-सुविधाओं के सभी साधन हों. लेकिन कभी-कभी सब कुछ होते हुए भी हम उन सुख-सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. हर किसी की यही तमन्ना होती है कि जिंदगी शांति और सुख के साथ गुजर जाए. लोग अपनी इस इच्छा को साकार करने के लिए लोग विभिन्न ज्योतिषियों, वास्तुशास्त्रियों से सलाह लेते हैं. राशियों की गणना के आधार पर भविष्य सुखद और सुरक्षित करने का उपाय बताता है, वहीं वास्तुशास्त्र जिन मापदंडों के आधार पर किसी मकान के निर्माण की योजना तैयार करता है, वह वस्तुतः वास्तु पुरूष के अवयवों के अनुरूप परिकल्पित किया जाता है.

वास्तु पुरूष

वास्तु पुरूष हर मकान का स्वयंभू संरक्षक होता है. उसे भवन का प्रमुख देवता माना जाता है. वेदों के मुताबिक, ब्रह्मा ने वास्तुपुरूष की रचना की और उसे आशीर्वाद दिया कि संसार में हर निर्माण के अवसर पर तुम्हारी पूजा अनिवार्य होगी अन्यथा वह निर्माण शुभ फलदायी नहीं होगा.

हर मकान, हर निर्माण के आधार में वास्तु पुरूष का वास होता है. मकान की निरंतर सुरक्षा का भार इस वास्तु पुरूष पर ही होता है. मुख से हर समय तथास्तु निकलता वास्तु शास्त्र के अनुसार वास्तु पुरूष के मुख से हर समय तथास्तु निकलता रहता है. इसका कारण यह है कि वास्तु पुरूष अपने घर में रहने वाले हर व्यक्ति की इच्छा पूरी करना चाहता है.

अक्सर लोग कहते हैं, बुरी बात मुंह से नहीं निकालनी चाहिए, शुभ-शुभ बोलो, 32 दांत की जबान कब लग जाए, क्या पता? इसकी वजह यही है कि वास्तु पुरूष का आशीर्वाद हर समय उसके मुंह से निकलता है और वह कब, किस बात पर स्वीकृति की मुहर लगा दे.

हमेशा अच्छा बोलना चाहिए ताकि वास्तु पुरूष के आशीर्वाद से सब शुभ हो.

वास्तु पुरूष किसी मकान के निर्माण और उसमें निवास करने वाले सदस्यों की खुशियों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर बनवाना शुरू करते समय, द्वार बनवाते समय और मकान पूरा बन जाने पर गृह प्रवेश के समय वास्तु पूजन अवश्य किया जाना चाहिए.

हर शुभ अवसर पर अथवा विवादित मकान के पुनर्निर्माण के बाद उसमें प्रवेश करने से पहले वास्तु शांति भी कराई जानी चाहिए.

वास्तु शांति के समय वास्तु पुरूष की प्रतिमा मकान की पूर्व दिशा में उचित स्थान पर विधिपूर्वक स्थापित कर दी जाती है और उसे गड्ढे में दबा दिया जाता है. इसके साथ ही मकान की सुरक्षा की जिम्मेदारी वास्तु पुरूष की हो जाती है.

इस वास्तु पुरूष को भोग लगाकर संतुष्ट रखना अति आवश्यक होता है. लेकिन अगर रोज भोग लगाना संभव ना हो, तो पूर्णिमा और अमावस्या के दिन वास्तु पुरूष को नैवेद्य अवश्य चढ़ाना चाहिए.

नैवेद्य चढ़ाने की विधि वास्तु पुरूष को नैवेद्य चढ़ाने के लिए घर में बने सभी व्यंजन थाली में रखें और उस पर ऊपर से घी अवश्य डालें.

अब थाली में एक-दो पत्ते तुलसी के डालें और उसे दूसरी थाली से ढक दें. जिस जगह पर वास्तु पुरूष स्थापित हों, वहां जल से शुद्धि कर एक चौकी रखकर थाली रखें. अब दाएं हाथ में दो बार पानी लेकर थाली के चारों तरफ घुमाकर धरती पर डालें. इसके बाद एक बार फिर पानी लेकर किसी पात्र में छोड़ें और दाएं हाथ से थाली का ढक्कन उठाकर भोजन के पांच ग्रास वास्तु पुरूष को दिखाकर चढ़ाएं. अब छठवां ग्रास वास्तु पुरूष को दिखाकर थाली में ही रख लें. इसके बाद थाली उठाकर रसोईघर में ले जाएं और घर के प्रमुख को वह थाली प्रसाद के रूप में दें. हर पूर्णिमा और अमावस्या को इस तरह वास्तु पुरूष को संतुष्ट करने से घर की सुख-शांति बनी रहेगी और सभी दोषों का नाश होगा.

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