केंद्र किसानों को नजरअंदाज कर रही, उद्योगपतियों को डरा रही : ममता

केंद्र किसानोंकोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर किसानों को नजरअंदाज करने और प्रतिकूल नीतियों को अपनाने के बाद उद्योगपतियों द्वारा डरकर देश से बाहर जाने पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “देश में 12,000 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व राजस्थान में प्रत्येक दिन किसान आत्महत्या करते हैं, लेकिन उनके लिए बोलने वाला कोई नहीं है।”

बनर्जी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “उद्योगपति देश में इस सरकार से डर रहे हैं। उन्हें प्रत्येक दिन आयकर विभाग, केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) द्वारा डराया जाता है। पिछले चार वर्षो में 75,000 से ज्यादा उद्योगपति देश छोड़कर चले गए हैं।”

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उन्होंने कहा, “अगर किसी उद्योगपति को देश छोड़ने के लिए बाध्य किया जाएगा और वे अपने साथ अगर 500 करोड़ व 1,000 करोड़ रुपये ले जाएंगे, तो जोड़िए देश में कितने पैसे बचेंगे। उन्होंने(भाजपा) काला धन वापस लाने और सभी भारतीय नागरिक को 15 लाख रुपये देने का वाद किया था। वास्तव में, देश में जितने पैसे आने थे, उससे ज्यादा बाहर जा चुके हैं।”

अल्पसंख्यक समुदाय और दलितों पर भाजपा-सरकार द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को आदर्श रूप से किसानों, मजदूरों का पक्ष लेना चाहिए और धार्मिक बंधुता बढ़ानी चाहिए।

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उन्होंने प्रश्न करते हुए कहा, “अल्पसंख्यकों पर हर जगह हमले किए जा रहे हैं। लोगों को विरोध करने पर फांसी पर लटकाया जा रहा है, हत्या की जा रही है और खुली सड़कों पर पीटा जा रहा है। गुजरात में दलितों के एक समूह को पीट-पीट कर मार डाला गया और जब वे(भाजपा अधिकारी और मंत्री) यहां आते हैं तो दलितों के घर खाना खाते हैं। ये सब करने की क्या जरूरत है?”

बनर्जी ने कहा, “मैं खुद भी हिंदू धर्म में विश्वास रखती हूं, लेकिन मेरे पास मुस्लिम या इसाई से नफरत करने का कोई अधिकार नहीं है। मैं ऐसा नहीं कर सकती। संविधान हमें ऐसा करने का अधिकार नहीं देता है। यह हमें धर्मनिरपेक्ष होने के लिए कहता है।”

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तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि चुनाव का एजेंडा विकास और अपने लोगों की सुरक्षा करने में सरकार की सफलता होनी चाहिए, न कि धार्मिक भेदभाव, जैसा कि भाजपा करती है।

मुख्यमंत्री ने कहा, “चुनाव में यह मुद्दा होना चाहिए कि सरकार विकास लाने में कितना सफल रही है, क्या सरकार सभी को खाद्य पदार्थ, कपड़े और आवास जैसी मुलभूत सुविधाएं पहुंचाने में समर्थ रही है, क्या वह चुनाव के समय किए गए वादे को पूरा करने में सफल रही।”

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