
पश्चिम बंगाल और ओडिशा में ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद का व्यापक प्रभाव देखा गया। बुधवार सुबह से ही कोलकाता, जलपाईगुड़ी और ओडिशा के कई जिलों में तनावपूर्ण माहौल रहा।

प्रदर्शनकारियों ने बस स्टैंड, डाकघर और अन्य प्रमुख स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया, जिससे यातायात और जनजीवन प्रभावित हुआ। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने सात प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और उन्हें कोतवाली थाने ले जाया गया।
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में सीपीआई(एम) की छात्र इकाई एसएफआई और युवा इकाई डीवाईएफआई के कार्यकर्ता नॉर्थ बंगाल स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन डिपो पर एकत्र हुए, जो लंबी दूरी की बस सेवाओं का प्रमुख केंद्र है। प्रदर्शनकारियों ने बस सेवाओं को रोकने की कोशिश की, जिससे स्थानीय स्तर पर तनाव बढ़ गया। कोलकाता के जादवपुर रेलवे स्टेशन पर भी वामपंथी यूनियनों ने रेल सेवाओं को बाधित करते हुए मार्च निकाला।
सीपीआई(एम) के जलपाईगुड़ी जिला नेता प्रदीप डे ने कहा, “हमारे कार्यकर्ता भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरे हैं। यह बंद जनता की जायज मांगों के लिए है, और हमें लोगों का समर्थन मिल रहा है।” उन्होंने केंद्र सरकार पर श्रमिकों के अधिकारों को कमजोर करने वाले आर्थिक सुधारों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
ओडिशा के खोरधा जिले में सीआईटीयू अध्यक्ष सुरेश राउत्रे ने कहा, “मोदी सरकार केवल अदाणी और अंबानी का समर्थन कर रही है, मजदूरों का नहीं। हम 9000 रुपये मासिक न्यूनतम पेंशन की मांग कर रहे हैं।” प्रदर्शन के दौरान ओडिशा में भी सड़क और रेल यातायात प्रभावित हुआ।
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई की और प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों का उत्साह कम नहीं हुआ, और वे अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर डटे रहे।