
सुहागिन महिलाओं के प्रमुख त्योहारों में हरतालिका तीज का भी नाम आता है. यह व्रत महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखकर माता गौरी और भगवान शिव की आराधना करती हैं. यह त्योहार साल भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है लेकिन अबकि बार इस त्योहार पर भी जन्माष्टमी की तरह असमंजस बना हुआ है. कुछ लोग कह रहे कि यह व्रत 1 सितंबर को होगा और कुछ लोगों का कहना है कि यह व्रत 2 सितंबर को पड़ेगा.
हरतालिका तीज की तिथि को लेकर असमंजस क्यों ?
हरतालिका तीज का व्रत भादो माह की शुक्लय पक्ष तृतीया यानी कि गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले रखा जाता है. अब समस्यात यह है कि इस साल पंचांग की गणना के अनुसार तृतीया तिथि का क्षय हो गया है यानी कि पंचांग में तृतीया तिथि का मान ही नहीं है. इस हिसाब से 1 सितंबर को जब सूर्योदय होगा तब द्वितीया तिथि होगी, जो कि 08 बजकर 27 मिनट पर खत्म हो जाएगी. इसके बाद तृतीया तिथि लग जाएगी. ज्योतिषियों के मुताबिक तृतीया तिथि अगले दिन यानी कि दो सितंबर को सूर्योदय से पहले ही सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में असमंजस इस बात का है कि जब तृतीया तिथि को सूर्य उदय ही नहीं हुआ तो व्रत किस आधार पर रखा जाए.
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01 सितंबर को क्योंं रखें हरतालिका तीज का व्रत?
इस बार हरतालिका तीज की तिथि को लेकर काफी असमंजस है. व्रत किस दिन रखा जाए इस बात को लेकर पंचांग के जानकार और ज्योितिषियों में भी मतभेद है. कुछ जानकारों का कहना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर को ही रखा जाना चाहिए क्यों कि तब दिन भर तृतीया रहेगी. तर्क यह भी है कि हरतालिका तीज का व्रत हस्तब नक्षत्र में किया जाता है, जो कि 1 सितंबर को है. इसलिए व्रत 1 सितंबर को रखा जाना चाहिए. जानकारों का कहना है अगर आप 2 सितंबर को व्रत रखते हैं तो उस दिन सूर्योदय के बाद चतुर्थी लग जाएगी. ऐसे में तृतीया तिथि का व्रत मान्य नहीं होगा.
02 सितंबर को क्योंि रखें हरतालिका तीज का व्रत?
कुछ जानकारों का मानना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर की बजाए 2 सितंबर को रखा जाना चाहिए. उनका तर्क है कि ग्रहलाघव पद्धति से बने पंचांग के अनुसार 2 सितंबर को सूर्योदय के बाद सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक तृतीया तिथि रहेगी और फिर चतुर्थी लग जाएगी. यानी कि तृतीया तिथि में सूर्योदय होगा. इसके अलावा कुछ विद्वानों को यह भी मानना है कि चतुर्थी युक्तु तृतीया को बेहद सौभाग्यसवर्द्धक माना जाता है. ऐसे में 2 सितंबर को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग और सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व के लिए सबसे उपयुक्त है.