‘PM मोदी को हराने’ गुजरात की इस सीट से खड़ी थी ये ‘मॉडल’, बुरी तरह हारी

गुजरातनई दिल्ली। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने अभी जारी हैं। शुरूआती नतीजों के हिसाब से ये कहना ग़लत नहीं होगा कि भारतीय जनता पार्टी इन दोनों ही जगहों पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। सामने आए रुझानों ने जहां एक ओर बीजेपी की जीत सुनिश्चित कर दी है वहीं गुजरात विधानसभा की कई ऐसी महत्वपूर्ण सीटें है जिन पर सभी की नजरें बनी हुई थी।

बात अगर अहमदाबाद की मणिनगर सीट की करें तो यहां से नरेंद्र मोदी तीन बार जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री बने और विधानसभा पहुंचे थे। जाहिर है कि ये सीट महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा का भी प्रश्न थी।

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ऐसे में कांग्रेस ने मणिनगर सीट पर कब्जा करने के लिए खूबसूरत कैंडिडेट उतारा था। पार्टी ने यूनाइटेड किंगडम की वेस्टमिंस्टर बिजनेस स्कूल से मास्टर्स और आईआईएम बेंगलुरु से एमबीए की पढ़ाई करने वाली श्वेता ब्रह्मभट्ट को मैदान में उतारा था। लेकिन नतीजों को देखकर अब कांग्रेस को ये साफ़ पता चल गया होगा कि चुनाव जितने के लिए राजनीतिक पकड़ मजबूत होना ज़रूरी है।

मोदी जब 2014 में प्रधानमंत्री बने तो इस सीट से बीजेपी के सुरेश पटेल ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने इस बार सुरेश पटेल के सामने मॉडल सी दिखने वाली श्वेता ब्रह्मभट्‌ट को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन अफसोस उनकी खूबसूरती का जादू मणिनगर के वासियों पर नहीं चला। बता दें कि श्वेता यहां के बाजेपी प्रत्याशी से 75 हजार से ज्यादा वोटों से पीछे चल रही हैं।

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बता दें कि मॉडल श्वेता के पिता नरेंद्र ब्रह्मभट्ट शहर के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रहे हैं। उनकी कांग्रेस में अच्छी पकड़ है। श्वेता ने यूनाइटेड किंगडम की वेस्टमिंस्टर बिजनेस स्कूल से मास्टर्स और आईआईएम बेंगलुरु से ‘इंडिया-वुमन इन लीडरशिप’ की पढ़ाई की है। लोग श्वेता को देखकर मॉडल समझ लेते हैं, लेकिन उन्होंने बाकायदा राजनेता बनने का प्रशिक्षण हासिल किया है। श्वेता ने भारत की कई कपंनियों में इनवेस्टमेंट बैंकर के रूप में काम किया है।

पीएम की पूर्व विधानसभा सीट होने के साथ-साथ मणिनगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राज्य मुख्यालय है। 1990 से इसे बीजेपी का ऐसा गढ़ माना जाता है जिसमें सेंध लगाना लगभग असंभव है। 1990 से 1998 तक बीजेपी के कमलेश पटेल सीट पर काबिज थे। 2007 से 2014 तक नरेंद्र मोदी इस सीट से विधायक थे। मोदी की पुरानी सीट होने की वजह से भी स्थानीय लोगों को जुड़ाव महसूस होता है।

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