गैरों के सहारे आखिरी पड़ाव पर महात्मा गांधी की पौत्रवधू

महात्मा गांधी की पौत्रवधूनई दिल्ली: भारत ही नहीं पूरे विश्व में लोग अहिंसा के पुजारी के तौर पर महात्मा गांधी जानते हैं। देश की आजादी की लड़ाई में अपना अभूतपूर्व योगदान देने वाले गांधी जी के त्याग को भूल चुके हैं। ये बात सच है। तभी तो महात्मा गांधी की पौत्रवधू इन दिनों मुफलिसी के दौर से गुजर रही हैं और ‘दूसरों’ की मदद से अपनी जिंदगी गुजार रही हैं।

दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पौत्रवधू जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर गैरों के सहारे हैं। महात्मा गांधी की पौत्रवधू शिवा लक्ष्मी की जो महात्मा गांधी के पोते कानूभाई गांधी की पत्नी हैं।

खबर के मुताबिक, 92 साल की हो चुकीं शिवा लक्ष्मी की आंखों की रोशनी कमजोर हो चुकी है लेकिन याद्दाश्त आज भी अच्छी है। वे दिल्ली से करीब 50 किमी दूर कादीपुर गांव में रह रही हैं।

खबर में बताया गया है कि, शिवा लक्ष्मी करीब तीन साल पहले उस वक्त अमेरिका से भारत आई थीं जब उनके पति कानू गांधी की तबियत काफी खराब हो गई थी। आपको बता दें कि कानू गांधी अमेरिका में नासा में वैज्ञानिक थे और शिवा लक्ष्मी खुद बोस्टन बायोमेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर रह चुकी हैं।

उस वक्त को याद करते हुए शिवा लक्ष्मी ने बताया कि पति की बीमारी के समय मोदी सरकार ने मदद की थी। लेकिन करीब एक साल पहले उनकी मौत के बाद अब उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

उनकी एक ही शिकायत है कि सरकार उन्हें भूल चुकी है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि राहुल गांधी ने उनसे संपर्क किया था और हालचाल भी पूछा था।

अपनों ने बनाई दूरी गैरों ने रखा ख्याल

शिवा लक्ष्मी ने बातचीत में दैनिक भास्कर को बताया कि उनसे उनके सगे संबंधियों ने दूरी बना ली है लेकिन गैरों ने हाथ आगे बढ़ाया है। पति की मौत के बाद वे एक सामाजिक संस्था में रहीं।

कुछ महीने बाद वे खादी ग्रामोद्योग संघ के पूर्व निदेशक बीआर चौहान ने उन्हें अपने घर पर रखा और उनकी सेवा की। बाद में शिवा लक्ष्मी चौहान के एक मित्र और आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा के कादीपुर स्थित घर रहने आ गईं। वे कहती हैं, “मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं कि गैरों के बीच भी अपनों की कमी नहीं खलती।”

उन्होंने इस दौरान यह भी बताया कि उनके देवर गोपाल गांधी से उनकी बातचीत नहीं होती है। गौरतलब है कि गोपाल गांधी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं और उपराष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ चुके हैं।

शिवा लक्ष्मी ने अपनी जिंदगी के पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि उनके पिता 1930 के आस-पास गांधी जी से मिले थे। उस समय वे बेहद अमीर व्यक्ति हुआ करते थे।

लेकिन गांधी जी ने जब उनसे कहा कि आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए तुम्हें एशो-आराम छोड़ने पड़ेंगे तो उन्होंने सबकुछ छोड़ दिया था। उस वक्त कानू भाई गांधी काफी छोटे थे। बाद में उनके साथ शिवा लक्ष्मी का विवाह हुआ।

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