गूगल ने डूडल बनाकर दिया कमला दास को ट्रिब्यूट, जानिए खास बातें

नई दिल्ली : गूगल ने अंग्रेजी और मलयालम की फेमस रायटर कमला दास को डूडल के माध्यम से याद किया है. कमला ने बचपन से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था. उनकी बायोग्राफी ‘माई स्‍टोरी’ पर काफी मचा था. साथ ही इसे काफी पढ़ा भी गया. उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातों के बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे.

कमला दास

कमला दास का जन्‍म 31 मार्च 1934 को त्रिचूर जिले के ब्राह्मण नायर परिवार में हुआ था. उनकी मां बालमणि  बहुत अच्‍छी कवयित्री थीं. कमला दास ने भी बचपन से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था. उनके पिता कलकत्ता में ऊंचे पद पर थे.

15 साल की उम्र में कमला दास की शादी कलकत्ता के माधव दास से हो गई थी. उनकी शादी ऐसे शख्‍स से हुई थी जो उनसे उम्र में 15 साल बड़ा था. उनके पति रिजर्व बैंक के बड़े अफसर थे. यही नहीं 16 साल की छोटी उम्र में वो मां भी बनी थीं.

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शादी के बाद उन्‍हें लिखने के लिए तब तक जागना पड़ता था जब तक कि पूरा परिवार न सो जाए. वह सुबह होने तक लिखती रहती थी.

मलयालम में कमला माधवी कुट्टी के नाम से लिखती थीं, जबकि अंग्रेजी में उन्‍होंने कमला दास के नाम से लिखा. माधवी कुट्टी उनकी नानी का नाम था.

कमला दास ने 1984 में एक राजनैतिक पार्टी बना कर चुनाव भी लड़ा, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई. इसके बाद वे राजनीति से दूर हो गईं.

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कमला दास ने 1999 में अचानक धर्मांतरण कर लिया और उनके नाम के आगे सुरैया जुड़ गया. उन्‍होंने पर्दा प्रथा का विरोध करते हुए आजादी की मांग की.

कमला दास ने अंग्रेजी में ‘द सिरेंस’, ‘समर इन कलकत्ता’, ‘दि डिसेंडेंट्स’, ‘दि ओल्डी हाउस एंड अदर पोएम्स’, ‘अल्फाबेट्स ऑफ लस्ट’, ‘दि अन्नामलाई पोएम्सल’ और ‘पद्मावती द हारलॉट एंड अदर स्टोरीज’ समेत 12 किताबें लिखीं. वहीं मलयालम में ‘पक्षीयिदू मानम’, ‘नरिचीरुकल पारक्कुम्बोल’, ‘पलायन’, ‘नेपायसम’, ‘चंदना मरंगलम’ और ‘थानुप्पू’ समेत 15 किताबें पब्लिश हुईं हैं.

कमला दास को साल 1984 में नोबेल पुरस्‍कार के लिए नॉमिनेट किया गया. इसके अलावा उन्‍हें अवॉर्ड ऑफ एशियन पेन एंथोलॉजी (1964), केरल साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार (1969), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1985), एशियन पोएट्री पुरस्कार(1998), केन्ट पुरस्कार (1999), एशियन वर्ल्डस पुरस्कार (2000), वयलॉर पुरस्कार (2001), मुट्टाथु वरके अवॉर्ड और एज्हुथाचन पुरस्कार (2009) जैसे ढेरों अवॉर्ड पुरस्‍कार भी मिले.

 

 

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