… तो इन कारणों से बच्चें को ब्रेस्टफीडिंग की आदत छोड़ने में हो रही है परेशानी

मां के लिए अपना बच्चा दुनिया में सबसे प्यारा होता है। बच्चा चाहें किसी भी उम्र का क्यों ना हो लेकिन उसकी मां का प्यार उसके लिए हमेशा एक ही रहता है। मां कभी अपने बच्चे को कभी डाटती है तो फटकार भी लगाती है लेकिन उसके जैसा अपने शिशु का ध्यान कोई और रख ही नहीं सकता है। डॉक्टर की मानें तो शिशु को जन्म से छ माह तक ब्रेस्टफीड ही कराना चाहिए। लेकिन कई बार कामकाज के चलते कई महिलाएं अपने शिशु को बोतल से दूध पिलाने की आदत डालना चाहती हैं। ताकि उनको आगे चलकर किसी दिक्कत का सामना ना करना पड सकें। लेकिन फिर भी ऐसे कई कराण हैं जिनके कारण आपका शिशु बोतल से दूध पीना नहीं चाहता है। आइए जानते हैं वह कौन से कारण है।

ब्रेस्टफीडिंग

गलत अवस्था होना

बच्चे को दूध पिलाने के लिए बोतल को सही से पकड़ने का तरीका भी होना चाहिए। कई बार आप सही से बोतल नहीं पकड़ते जिसके कारण आपको बच्चेंको बोतल से दूध पीने में समस्या का सामना करना पड़ता है। जब भी आप अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाए तो बोतल को 45 डिग्री पर ही रखें।

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फॉर्मूला मिल्क 

यदि आपके शिशु को पहले से ही बोतल का दूध पीने की आदत होगी तो आपके बच्चें को बोतल का दूध पीने में कोई परेशानी नहीं होगा। यदि आपके बच्चें को पहले से ही बोतल का दूध पीने की आदत होगी तो आपको असहजता नहीं महसूस होगी।

मिल्क 

ठंडा दूध होना

छोटे बच्चें को ज्यादातर गुनगुना दूध पीने की आदत होती है। इसलिए कभी भी अपने बच्चें को ठंडा दूध ना दें। यह भी ध्यान रखें कि दूध को हमेशा गैस पर ही गर्म करें। माइक्रोवेव में गर्म किया हुआ दूध से उसके सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

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शिशु का बीमार होना

जब आपका शिशु बीमार होता है या उसे किसी प्रकार की कोई समस्या होती है तो उसका दूध पीने का मन नहीं करता है। अगर आपका शिशु दूध की बोतल फेंक दें तो वह समझ लीजिए कि वह बीमार है।

 

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