EVM में हेराफेरी का चुनाव आयोग ने निकाला तोड़, ऐसे देगा जवाब

EVMगांधीनगर। यूपी निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद एक बार फिर से EVM की विश्वसनीयता पर राजनीतिक पार्टियों ने बखेड़ा खड़ा कर दिया है। इसके साथ ही गुजरात विधानसभा चुनाव को वैलेट पेपर से करवाने की मांग तेज हो गई है। वहीँ EVM पर उठ रहे सवाल को लेकर चुनाव आयोग ने भी सख्त रुख अपना लिया है। साथ ही चुनाव आयोग ने इसका जवाब दने का भी फैसला लिया है।

बता दें कि, चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी के आरोपों के बाद यह फैसला लिया है कि वह गुजरात की प्रत्येक 182 विधानसाभाओं के किसी एक पोलिंग स्टेशन पर अचानक किसी मशीन का वोट काउंट और वोटर वैरिएबल पेपर ट्रेल (वीवीपैट) की स्लिप की गिनती करेगा।

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मुख्य चुनाव आयुक्त ए. के. ज्योति ने कहा कि, “ईवीएम और वीवीपैट सिस्टम में लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए हमने यह निर्णय लिया है कि हम हर एक विधानसभा में किसी एक पोलिंग स्टेशन की वोटिंग मशीन में एकाएक वोटों की गिनती और वीवीपैट वोट स्लिप की गिनती करेंगे”।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “इससे पहले गोवा चुनावों में कुछ प्रत्याशियों ने आपत्तियां दर्ज की थी जिसके बाद चार पोलिंग स्टेशनों पर वीवीपैट स्लिप की गिनती की गई थी। यह गिनती मशीन की कंट्रोल यूनिट से 100 पर्सेंट मिल गई थी”।

आपको बता दें कि, सोशल मीडिया पर इस समय यूपी के निकाय चुनावों में बीजेपी के पक्ष में ईवीएम में गड़बड़ी किए जाने के आरोप लगाने वाला एक विडियो वायरल हो रहा है। इस विडियो के संदर्भ में उन्होंने कहा, “निकाय चुनाव संबंधित राज्यों के राज्य चुनाव आयोगों द्वारा कराए जाते हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग ने यूपी के निकाय चुनाव नहीं कराए हैं। उन्होंने M1 टाइप की ईवीएम का इस्तेमाल किया है जबकि हम चुनावों में उससे कहीं अडवांस M2 टाइप की ईवीएम का इस्तेमाल करते हैं”।

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गुजरात दौरे पर पहुंचे चुनाव आयुक्तों ने दो दिनों तक राज्य के सभी चुनाव अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों सहित मुख्य सचिव और डीजीपी से चर्चा कर चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया। इस दौरान चुनाव आयुक्तों ने राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनके सुझाव भी सुने। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, ‘राजनीतिक पार्टियों ने किसी वोटर द्वारा गलत वोट जाने की शिकायत पर उस पर उसे दंडित किए जाने के चुनाव आयोग के फैसले को वापस लिए जाने की मांग की है।

आयोग इस मामले पर बाद में कोई निर्णय लेगा। इसके अलावा एक राजनीतिक दल ने पोलिंग बूथ के बाहर जैमर लगाए जाने और वहां मोबाइल फोन प्रतिबंधित किए जाने की भी मांग की। हम उनके सुझावों पर विचार करेंगे और उसी के अनुरूप कोई फैसला लेंगे”।

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