The End… बस आज की रात है जिंदगी…

पृथ्वी का विनाशनई दिल्ली। मौत का डर सबसे बड़ा होता है। इसीलिए दुनिया भर के वैज्ञानिक और चिकित्सा विशेषज्ञ इस पर विजय प्राप्त करने की तमाम कोशिशे करते रहते हैं। घातक से घातक बीमारी के तोड़ निकाले जा चुके हैं। लेकिन सार्वभौमिक सत्य ‘इंसानी शरीर नश्वर है’। एक न एक दिन सभी की मृत्यु होना निश्चित है। इसी लिए प्रतिदिन इतने इलाज और तकनीक होने के बावजूद न जाने कितने लोग अपना शरीर त्याग देते हैं।

अब सोचिए कि कुछ ऐसा हो जिससे पूरी पृथ्वी का ही विनाश हो जाए तो क्या हो… हालांकि कई विशेषज्ञ पृथ्वी के अंत की तारीख घोषित कर चुके हैं, पर ऐसा एक बार भी नहीं हुआ। वहीं एक बार फिर पृथ्वी के विनाश की घोषणा की गई है और वह तारीख है आपका आने वाला कल का दिन यानी 19 नवंबर 2017, दिन रविवार।

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विशेषज्ञ और जानकार एक रहस्यमय ग्रह होने का दावा करते हैं। इस ग्रह का नाम Nibiru है।

दावा है कि 19 नवंबर 2017 को कुछ ऐसे योग बन रहे हैं कि यह ग्रह पृथ्वी से टकराएगा। इस कारण जगह-जगह भूकंप के ऐसे विशाल झटके लगेंगे कि मानो इंसान का नामोनिशान ही मिट जाए।

इससे पहले Nibiru जिसे ‘ग्रह एक्स’ का नाम भी दिया गया है, उसके 23 सितंबर 2017 को पृथ्वी से टकराने के आसार जताए गए थे। मगर वह दावा महज एक कोरी कल्पना मात्र ही साबित हुआ।

अब एक बार फिर खगोलीय चक्र में उसी ग्रह के आने की संभावनाएं प्रबल बताई जा रही हैं।

वहीं दूसरी ओर नासा के वैज्ञानिकों का कुछ और ही मत है। उनका मानना है कि जिस गृह की बात की जा रहे है, उसकी उपस्थिती असंभव है।

उनका कहना है कि यदि Nibiru नाम के ग्रह की मौजूदगी सत्य होती तो वह ग्रह अपनी विशाल गुरुत्वाकर्षण के कारण अपने चांद की धरती (पृथ्वी) को छीन लेता।

नासा एम्स रिसर्च सेंटर के एक खगोलविद डॉ. डेविड मॉरिसन ने कहा कि यदि ऐसा कोई भी ग्रह होता तो वह सौरमंडल में उपस्थित सभी ग्रहों की स्थिती में बड़ा बदलाव पैदा कर देता। इसके कारण चन्द्रमा अपनी स्थिती अलग हटकर सौरमंडल से बाहर हो जाता।

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जहां नासा एक ओर इस ग्रह की उपस्थिती को महज एक अफवाह बता रहा है। वहीं Nibiru ग्रह के होने का दावा करने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि नासा इस ग्रह के होने की सच्चाई को छिपाने का प्रयास करता है। ताकि लोगों के मन से पृथ्वी के विनाश को लेकर उपजने वाले भय को दूर रखा जा सके।

उनका कहना है कि यह ग्रह कोई अफवाह नहीं बल्कि एक वास्तविकता है, जिसे नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी दावा किया है कि करीब 3600 साल में एक बार यह ग्रह हमारे सौरमंडल में प्रवेश करता है। साथ ही अन्य सभी ग्रहों की भांति सूर्य का चक्कर लगाता है।

दावा है कि इसे सूर्य का चक्कर लगाने में करीब 3600 साल लगते हैं। इसलिए इस पर जल्द ही किसी की निगाह नहीं पड़ती और इसे महज एक अफवाह का नाम देकर पल्ला झाड़ लिया जाता है।

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