देश के कर्मचारियों ने लगाया सरकार को चूना, जांच में जुटा आयकर विभाग
नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक के बाद आयकर विभाग को करीब 10 अरब का चूना लगाने का मामला सामने आया है। बता दें इस मामले पर विभाग और सरकार करीब तीन साल से नजरे बनाए हुए है। मौजूदा आंकड़ों को देखने के बाद इस बात का खुलासा किया गया कि निजी या सरकारी कर्मचारियों ने रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न्स दाखिल करने में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सरकार की आँखों में धुल झोंकने का काम किया है। फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से खर्चों को बढ़ाचढ़ा कर दिखाया गया है।
व्यापार मानक के मुताबिक सिर्फ मुंबई में लगभग 17,000 रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न्स दाखिल किए गए है। इसके आलावा बेंगलुरु में भी करीब एक हजार से अधिक रिटर्न्स फाइल किए जा चुके हैं। फिलहाल आयकर विभाग पूरे मामले की छानबीन में जुट गया है।
खबरों के मुताबिक घोटाले की रकम तकरीबन 1,000 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। वहीं आयकर विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि पिछले तीन सालों में रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न्स दाखिल करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है।
अधिकारियों के मुताबिक इस दौरान हमने इस बात की भी बाबत जानकरी जुटाई कि कैसे फर्जी दस्तावेज के माध्यम से रिफंड क्लेम हो रहा है।
उल्लखेनीय है कि करदाता दो वित्त वर्ष के लिए अपना रिवाइज टैक्स रिटर्न्स दाखिल कर सकते हैं। वित्त वर्ष 2015-16 और वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 31 मार्च, 2018 तक रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न्स दाखिल किए जा सकते हैं। बता दें कि आयकर निमावली के अनुसार उपभोक्ताओं को धारा 24 के तहत होम लोन पर कर छूट का प्रावधान है।
सीबीआई के पाले में मामला
रिफंड घोटाले की जांच अब केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) करेगी। सीबीआई की जांच एजेंसी उन बिन्दुओं पर पता लगाएगी कि जांच के दायरे में चल रहे लोगों के पास आयकर विभाग के प्राप्त स्रोतों से ज्यादा चल–अचल संपत्ति तो नहीं है। साथ ही इस पूरे घोटाले में आईटी डिपार्टमेंट के अधिकारियों और चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा।