मर जाओं मरीजों परवाह नहीं हम सरकारी डॉक्टर है, समय मिलेगा तो ही करेंगे इलाज

रिपोर्ट-अश्वनी बाजपेई
औरैया। मर जाओं मरीजों परवाह नहीं हम सरकारी डॉक्टर है। – अगर आपकी बीमारी को समय देखना नही आता और आपके मरीज को दौड़भाग करके अपना इलाज करवाना नही आता तो मत आइए इन सरकारी अस्पतालों में क्योकि यहां सब काम समय से होता है और सलीके से होता है।

मर जाओं मरीजों परवाह नहीं हम सरकारी डॉक्टर है
जी हाँ मामला है 100 शैय्या अस्पताल का जहां बीमार मरीजो को सिर्फ तड़पना और बेबस लाचार आंखों से डाक्टरो की तलाश करना है , यहां 2 अलग अलग मामलों ने अस्पताल के बेहतर इलाज की पोल खोल दी।

मर जाओं मरीजों परवाह नहीं हम सरकारी डॉक्टर है

सूबे में भयंकर तरीके से फैल रहे जानलेवा बीमारियों जैसे वायरल फीवर इत्यादि जैसी बीमारियों से निपटने के लिए जहां सूबे की सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए सभी सरकारी अस्पतालों में जाँच कर बेहतर इलाज करने का दम्भ भर रहे है वही यूपी के औरैया जनपद में 100 शैय्या जिला अस्पताल का हाल बेहाल है, यहां पर डॉक्टर है, मरीज है, जांचकर्ता भी है, दवाई भी है लेकिन कमी है तो सिर्फ समय की। समय का मतलब डॉक्टर साहब के पास समय नही है ।
अगर आपकी खून की जांच होनी है तो सिर्फ 12 बजे तक होगी उसके बाद खुद अस्पताल के अधीक्षक भी जांचकर्ता के सामने बेबस नजर आते है ।

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यूपी के औरैया जनपद में ककोर मुख्यालय से पहले स्थित 100 शैय्या जिला अस्पताल जिसमे सभी तरह के रोगों का इलाज होता है लेकिन यहां इलाज करवाने का एक समय निश्चित है जिसके चलते बीमार ब्यक्ति को अक्सर ही वापस लौटना पड़ता है क्योंकि बीमारी समय देख कर नही आती और डॉक्टर साहब समय देख कर चले जाते है ।

(मरीज 1) लगभग 60 किलोमीटर तक का सफर करके मरीज यहां तक आता है और यहां से निराश होकर लौट जाता है क्योंकि बीमारी को समय देखना नही आता और डॉक्टर को समय के बाद बैठना नही आता ऐसे में बार बार दौड़ भाग से बचने के लिए मरीज का सहारा बना 100 शैय्या अस्पताल की जमीन ,जहां पर लेटे हुए मरीज का हाल जब हमने जाना तब पता चला कि सब समय की बात है मरीज जमीन पर लेटकर दर्द से कराहता रहा ।

मतलब पहले तो रोगी को 2 या 3 बार भगाओ उसके बाद जब मीडिया या किसी अधिकारी की जानकारी में मामला आये तो इलाज शुरू करो, मीडिया द्वारा जमीन पर तड़पते मरीज की खबर बनाने की बात सुन कर आये अस्पताल अधीक्षक ने आनन फानन में स्ट्रेचर मंगवा कर बीमार का इलाज शुरू करवाया। अपने बीमार व्यक्ति का इलाज शुरू होते देख परिजनों ने जहां राहत की सांस ली वही मीडिया को धन्यवाद देते हुई आभार भी व्यक्त किया ।

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(मरीज 2 ) वायरल फीवर से ग्रस्त इन बुजुर्ग को दौड़ते दौड़ते 2 दिन हो गए लेकिन खून की जांच नही हो पा रही है क्योंकि जब तक बीमार अस्पताल पहुचता है तब तक डॉक्टर साहब के जाने का समय हो जाता है ,वही अस्पताल अधीक्षक का कहना था कि मरीज शायद 12 बजे तक नही आया होगा वर्ना इलाज शुरू हो जाता है और मरीज भी डाक्टरो से अभद्रता करते है कही अभद्रता करने के वजह से तो मना नही कर दिया ।

जागरूक होना भी कभी कभी खतरनाक हो सकता है क्योंकि अगर आपने डाक्टरो से बहस की तो बवाल और बहस नही की तो इलाज नही , अब ऐसी हालत में मरीज क्या करे कहाँ जाए ? बेहतर स्वास्थ्य इलाज के लिए गरीब सरकारी अस्पताल जाता है क्योंकि उसके पास महंगे प्राइवेत अस्पताल में इलाज कराने की क्षमता नही है तो सरकारी अस्पताल में डाक्टरो के पास समय नही है ।अब देखना यह है कि कैसे हालत सुधरेगी इन अस्पतालों की ।

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