12 साल पहले दफनाया गया सद्दाम हुसैन का शव कब्र से गायब!

अल-अवजा। करीब दो दशकों तक इराक की सत्ता को अपने दम पर चलाने वाले तानाशाह सद्दाम हुसैन का शव कब्र से गायब हो गया है। सद्दाम हुसैन का शव 30 दिसंबर 2006 को दफनाया गया था।

सद्दाम हुसैन का शव

इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन को उनके पैतृक गांव अल-अवजा में दफनाया गया था, लेकिन अब वहां उनके अवशेष नहीं हैं। सद्दाम की जहां कब्र थी वहां टूटे-फूटे कंक्रीट और कांटेदार तार से ज्यादा कुछ नहीं रह गया है।

अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने निजी तौर पर यह फैसला किया था कि तानाशाह के शरीर को अमेरिकी सैन्य हैलीकॉप्टर के जरिए बगदाद से तिकरित के उत्तरी शहर के नजदीक अल-अवजा ले जाया जाए।

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सद्दाम हुसैन के वंश से जुड़े अल्बू नासेर समुदाय के नेता शेख मनफ अली अल-निदा का कहना है कि सद्दाम को बिना देरी के दफन कर दिया गया था। 69 साल के सद्दाम को कब्र में डालने से पहले उसे दफनाया गया था, जिसे काफी सालों बाद जाहिर किया गया। इसके बाद यह स्थान एक तीर्थस्थल में बदल गई थी, जहां सद्दाम हुसैन के समर्थक और स्थानीय स्कूली बच्चों के समूह उनके जन्मदिन (28 अप्रैल) पर जमा होते थे।

हालांकि अब आगंतुकों को यहां आने के लिए विशेष इजाजत लेनी पड़ती है, जिसे तबाह कर दिया गया है और शेख निदा को गांव छोड़ने पर मजबूर किया गया और उन्हें इराकी कुर्दिस्तान में शरण लेनी पड़ी।

उन्होंने कहा, ‘2003 से अमेरिकी नेतृत्व में हमले के बाद शेख के समुदाय को काफी परेशान किया गया क्योंकि वे सद्दाम से काफी नजदीक थे।’ शेख ने कहा, ‘क्या यह सामान्य है कि हमारी पीढ़ी को एक-के-बाद इतनी भारी कीमत चुकानी पड़ी और वो भी सिर्फ इसलिए हम एक ही परिवार से थे।’

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सद्दाम जलाया गया?

सद्दाम की कब्र और उसके आसपास के इलाकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्यतः शिया अर्द्धसैनिक बलों के पास है। उन्होंने कहा कि कब्र के ऊपर इस्लामिक स्टेट ने अपने स्नाइपर तैनात कर दिए थे, जिसके बाद इराक ने वहां हवाई हमले किए और वो जगह तबाह हो गई। जिस वक्त यह धमाका हुआ शेख निदा वहां मौजूद नहीं थे, लेकिन उन्हें यकीन है कि सद्दाम के मकबरे को खोला गया और फिर उसे जलाया गया। वहीं दूसरी ओर सुरक्षा प्रमुख का कहना है कि सद्दाम का शव अभी भी वहीं है, जबकि एक लड़ाके का अनुमान है कि सद्दाम की बेटी हाला जो कि अब निर्वासित है, एक निजी विमान से इराक आई थी और अपने पिता के शव को लेकर जॉर्डन चली गई।

विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर और सद्दाम के समय में लंबे समय तक छात्र रहे, ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि यह ‘असंभव’ है। उन्होंने कहा, ‘हाला कभी वापस लौटकर इराक नहीं आई।’ उन्होंने कहा, ‘शरीर को किसी गुप्त स्थान पर ले जाया गया, कोई नहीं जानता कि उसे कौन ले गया या फिर कहां ले गए।’

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ था, तो सद्दाम के परिवार की उस गुप्त स्थान पर पैनी नजर होती। सद्दाम के मकबरे का हश्र ठीक उसी तरह से हुआ है जैसा कि गांव के प्रवेश द्वार पर बनाए उनके पिता के कब्र के साथ हुआ, जिसे अनैपचारिक तरीके से उड़ा दिया था। कुछ अन्य लोगों की तरह बगदाद के निवासी अबू समेर को यकीन है कि इराक के दबंग शासक अब भी वहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘सद्दाम मरे नहीं, जिसे फांसी दी गई थी वो सद्दाम के हमशक्लों में से एक थे।’

लंबे समय से जुल्म के शिकार हो रहे बहुसंख्यक शिया समुदाय में तानाशाह सद्दाम हुसैन की मौत के बाद खुशी का माहौल था और यह एक तरह से सद्दाम के चाहने वाले सुन्नी के अपमान या निरादर का भी प्रतीक था।

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