भारत में हुए बेकार, अब साउथ अफ्रीका में काम आएंगे 500 और 1000 के पुराने नोट
नई दिल्ली। पिछले साल ठीक रात 8 बजे पीएम नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट बंद करने के फैसले का ऐलान किया था। इसके बाद बड़े नोट चलन से बाहर हो गए थे। नोट बैन को एक साल बीत गया। अब खबर आ रही है कि 500 और 1000 के नोट चलेंगे।
भारत में हुई नोटबंदी के बाद शायद ही लोग सोचते होंगे कि उन नोटों का क्या हुआ? बैंक में उन्हें जमा करने के बाद उनका क्या किया गया? अगर नहीं पता, तो हम बताते हैं।
सभी 500 और 1000 के नोट केंद्र सरकार द्वारा दक्षिण अफ्रीका भेजे जा रहे हैं। वहां उनका इस्तेमाल होगा। वो भी चुनावों में। वैसे भारत में आरबीआई नोटों का निस्तारण उन्हें जला कर करता है। लेकिन अब भारत के लिए बेकार हैं तो किसी और देश के लिए काम आए जाए तो बेहतर ही है।
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दरअसल, ऐसा केरल में कन्नूर की कंपनी वेस्टर्न इंडियन प्लाइवुड लिमिटेड के वजह से हो रहा है, जो बीते नवंबर से उन नोटों को हार्ड बोर्ड (लकड़ी के) बनाकर रीसाइकल करने में जुटी है।
कंपनी के मार्केटिंग हेड पी.महबूब ने इस बारे में कहा कि 2019 में दक्षिण अफ्रीका में चुनाव होने हैं और यह हार्ड बोर्ड उसी दौरान काम आएंगे।
उनके मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तिरुवनंतपुरम स्थित क्षेत्रीय दफ्तर से उन्हें तकरीबन 800 टन के बंद किए गए नोट मिले थे। 1945 में इस कंपनी की स्थापना कन्नूर के वलापट्टनम में हुई थी, जो प्लाईवुड, ब्लॉक बोर्ड और फ्लश डोर तैयार करती है। कंपनी ने इन नोटों के लिए बैंक को 200 रुपए प्रति टन के हिसाब से रकम चुकाई है।
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पुराने नोट जिस कागज से बनाए गए थे, वह अच्छी गुणवत्ता का था। ऐसे में कंपनी उन नोटों को मशीनों से लुग्दी के रूप में तब्दील करेगी। कंपनी लकड़ी लुग्दी से कड़े और मुलायम बोर्ड बनाती है।
यही बोर्ड बनाने में वह पांच से 15 फीसद तक पुराने नोटों की लुग्दी इस्तेमाल करेगी, जिसे लकड़ी की लुग्दी के साथ मिलाया जाएगा। यह काम थर्मोमकैनिकल पल्पिंग की तकनीक से किया जाएगा।
आमतौर पर आरबीआई नोटों का निस्तारण उन्हें जला कर करता है। चूंकि इस बार नोटों की संख्या बेहद अधिक थी, लिहाजा बैंक ने उसे रीसाइकिल होने के लिए भेज दिया।