झारखंड : मुख्य सचिव और डीजीपी को हटाने की मांग तेज, विधानसभा में विपक्ष ने किया हंगामा

मुख्य सचिवरांची। झारखंड विधानसभा लगातार दूसरे दिन गुरुवार को विपक्षी पार्टियों द्वारा मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को हटाने की मांग को लेकर बाधित हुई। विपक्षी पार्टियां मुख्य सचिव द्वारा चारा घोटाले में कोषागार से धन निकासी व कथित तौर पर फर्जी गोलीबारी को लेकर डीजीपी को हटाने की मांग कर रही हैं।

विपक्षी पार्टियों के विधायकों ने मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और पुलिस महानिदेशक डी. के. पांडेय पर लगे आरोपों पर चर्चा की मांग को लेकर स्थगन प्रस्ताव पेश किया। लेकिन, विधानसभा अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

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स्थगन प्रस्ताल लाने वाले दल झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के विधायक प्रदीप यादव ने कहा, “मुख्य सचिव व डीजीपी के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए जिससे कि निष्पक्ष जांच हो सके।”

प्रदीप यादव ने कहा, “झारखंड के संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने खुद मुख्यमंत्री को मुख्य सचिव को कैबिनेट बैठक में भाग लेने से रोकने के लिए पत्र लिखा है। मुख्य सचिव को संवैधानिक संस्था सीबीआई ने नोटिस दिया है।”

सदन में विपक्ष के नेता झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के हेमंत सोरेन ने कहा, “अतीत में कई उदाहरण रहे हैं, जब विधानसभा में मुद्दे को उठाए जाने पर मुख्य सचिव को छोटे आरोपों पर भी हटाया गया है।”

उन्होंने कहा, “राज्य में स्थिति बहुत गंभीर है। लोग फर्जी मुठभेड़ में मारे गए हैं, गरीबों की आवाज विधानसभा में दबा दी जाती है। स्पीकर सर, आप भीष्म पितामह की भूमिका में ढल गए हैं।”

भाजपा विधायक राधा कृष्ण किशोर ने मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए कहा, “डीजीपी का मामला न्यायालय के अधीन है और इसे राज्य विधानसभा में नहीं उठाया जा सकता।”

विपक्षी सदस्यों ने कहा कि फर्जी मुठभेड़ का मामला अदालत में है और इसका डीजीपी के हटाए जाने से कोई लेना देना नहीं है। विधानसभा में हंगामे को देखते हुए अध्यक्ष दिनेश ओरांव ने सदन को अपरान्ह 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

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मुख्य सचिव राजबाला वर्मा पर आरोप है कि 1990 के दशक की शुरुआत में पश्चिम सिंहभूम में उपायुक्त पद पर तैनात राजबाला ने चाईबासा कोषागार से धोखाधड़ी से धन निकासी को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया। पशुपालन विभाग में धोखाधड़ी से की गई धन निकासी को चारा घोटाले के नाम से जाना जाता है।

पुलिस महानिदेशक डी.के.पांडेय 2015 में लातेहार जिले के बकोरिया में एक गोलीबारी को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं। इसमें निर्दोष लोगों को नक्सलियों के बहाने गोलीबारी में मार दिए जाने का आरोप है।

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