कावेरी जल विवाद पर आ गया फैसला, तमिलनाडु को मिलेगा कम पानी

नई दिल्ली। वर्षों पुराना कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में कावेरी जल विवाद मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट फैसला आ चुका है. कोर्ट ने कहा कि नदी पर किसी राज्य का दावा नहीं है. कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु को 177.25 TMC पानी दिया जाए.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने पिछले वर्ष 20 सितंबर को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को चुनौती दी थी.

कावेरी जल विवाद

इस फैसले के तहत तमिलनाडु को अब 177.25 क्यूसेक पानी मिलेगा, ट्राइब्यूनल के फैसले से 15 क्यूसेक घटा दिया गया. तमिलनाडु के लिए इस फैसले को झटका माना जा रहा है.

इसके साथ ही कर्नाटक के पानी का कोटा बढ़ा दिया गया है. उसे अब 284.75 क्यूसेक पानी मिलेगा. कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जताई है.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि नदी राष्ट्रीय संपत्ति है और किसी भी राज्य का दावा नहीं स्वीकार्य हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि फैसले को लागू कराने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. तमिलनाडु ने कावेरी बेसिन से तमिलनाडु को 10 टीएमसी ग्राउंड वाटर अतिरिक्त इस्तेमाल की इजाजत भी दी.

इससे पहले कर्नाटक ने तमिलनाडु को ये कहते हुए कावेरी का पानी देने से इंकार कर दिया था कि उनके अपने किसानों के लिए ही पानी पर्याप्त नहीं है. तमिलनाडु को इस फैसले से झटका लगा है. राज्य सरकार ने कहा है कि इस फैसले के अध्ययन के बाद वे आगे की कार्रवाई तय करेंगे.

इस फैसले के मद्देनजर कर्नाटक तमिलनाडु बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. फैसले के बाद कर्नाटक से तमिलनाडु आने वाली बसों को बर्डर के बाहर ही रोक दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बंगलुरु के लिए 4.75 TMC पानी मंजूर किया है.

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दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर 2007 में सीडब्ल्यूडीटी ने कोवरी बेसिन में जल की उपलब्धता को देखते हुए एकमत से निर्णय दिया था।

फैसले में तमिलनाडु को 419 टीएमसीफुट (हजार मिलियन क्यूबिक फुट) पानी आवंटित किया गया, कर्नाटक को 270 टीएमसीफुट, केरल को 30 टीएमसीफुट और पुडुचेरी को सात टीएमसीफुट पानी आवंटित किया गया था।

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शीर्ष अदालत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इसके फैसले के बाद ही कोई पक्ष कावेरी से जुड़े मामले पर गौर कर सकता है।

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