आज के दिन खुली थीं गोवा की ‘जंजीरें’, आजादी के 14 साल बाद तक बना रहा गुलाम

गोवा की आजादीपणजी। भारत के समुद्री तट पर स्थित प्राकृतिक खूबसूरती से भरा गोवा आज के समय में स्वदेशी और विदेशी सैलानियों की पसंदीदा जगह बन गया है। लेकिन कभी ये भी गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। लेकिन अंग्रेजो की जंजीरों में नहीं बल्कि पुर्तगाली शासकों के हाथों में। 19 दिसंबर देश के इतिहास में वह तारीख है जिस दिन भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव को करीब 450 साल के पुर्तगाली साम्राज्य से आजाद कराया था।

दरअसल भारत सरकार के आदेश के बाद भारतीय सेना ने 18 दिसम्बर, 1961 को ‘ऑपरेशन विजय अभियान’ शुरू किया। 36 घंटे से भी ज्यादा समय तक चले इस युद्ध में 19 दिसंबर को गोवा, दमन और दीव को पुर्तगालियों के शासन से मुक्त कराया था।

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भारत ने अंतररराष्ट्रीय मंच पर भी इस मामले को उठाया। हालांकि भारत की इस कोशिश का कोई फायदा नहीं हुआ और बाद में भारत को सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी।

पुर्तगाली सेना ने बिना किसी शर्त के 19 दिसंबर को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया और पुर्तगाल के गर्वनर ने सरेंडर फॉर्म पर साइन कर गोवा छोड़ दिया था। इसके बाद से ही इसे Goa Liberation Day ‘गोवा मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

छोटा सा गोवा शुरू से ही बड़ा ट्रेड सेंटर रहा है। अपनी लोकेशन की वजह से यह अंग्रेजों को शुरू से ही आकर्षित करता रहा है। इतना ही नहीं मुगल शासक भी इस तरफ आकर्षित होते रहे हैं।

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1961 में पुर्तगालियों से आजादी के बाद गोवा को तेजी से विकास हुआ। इसकी सुंदरता को देखने के लिए देशी-विदेशी पर्यटक निरंतर आते रहते हैं। गोवा भारत के सबसे ज्यादा विकसित राज्‍यों में से एक है। हालांकि, आज भी यहाँ पुर्तगाल के कल्चर की झलक देखने मिलती है।

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