अब बीमा कंपनियों के काम नहीं आएंगे ये बहाने, कोर्ट ने सुनाया फैसला

बीमा कंपनीअहमदाबाद। कन्ज्यूमर कोर्ट ने एक 55 वर्षीय महिला के केस पर सुनवाई करते हुए बीमा कंपनी को तगड़ा झटका दिया है। दरअसल महिला ने ब्रेस्ट सर्जरी करवाई थी, जिसपर बीमा कंपनी क्लेम पास करने से मना कर रही थी। महिला परेशान होकर कोर्ट में मामला ले गई जहां कोर्ट ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि ब्रेस्ट छोटा कराना मजबूरी भी हो सकती है, जरूरी नहीं ये हमेशा कॉस्मेटिक हो।

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बता दें कि बीमा कंपनी ने तर्क दिया था कि ब्रेस्ट सर्जरी कॉस्मेटिक होती है, ऐसे में इसका हर्जाना नहीं दिया जा सकता। लेकिन कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बीमा कंपनी को पीड़ित को 1.69 लाख रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया है।

पीड़ित महिला ने कोर्ट में दी अपनी याचिका में कहा कि बड़े स्तन की वजह से उसे पीठ और कंधे में जबरदस्त दर्द होता था। डॉक्टर ने उसे ब्रेस्ट सर्जरी करवाने की सलाह दी। दर्द बढ़ने पर महिला ने मैमोप्लास्टी (ब्रेस्ट साइज कम करने की सर्जरी) करवाई, जिससे उसे काफी आराम मिला। इस सर्जरी में महिला के 1.64 लाख रुपए खर्च हुए, लेकिन बीमा कंपनी ने इस क्लेम को पास करने से साफ़ मना कर दिया।

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बीमा कंपनी ने पॉलिसी के एक खंड का हवाला देते हुए कहा कि खतना, कॉस्मेटिक सौंदर्य और प्लास्टिक सर्जरी किसी बीमारी या जख्म के उपचार के लिए इस्तेमाल नहीं होती है।

हालांकि कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी के इस खंड को अनुचित ठहराया और अनुचित व्यापार न करने की सलाह दी। साथ ही कोर्ट ने बीमा कंपनी को पीड़ित महिला को सर्जरी में खर्च हुए 1.64 लाख रुपए के साथ महिला के मानसिक उत्पीड़न और कानूनी खर्चे के तहत 5000 रुपए अतिरिक्त देने का आदेश दिया।

गौरतलब है कि कोर्ट ने तर्क दिया कि इस केस में कॉस्मेटिक का कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि महिला ने सुंदरता बढ़ाने के लिए सर्जरी नहीं करवाई है।

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