
नई दिल्ली| तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में भारत के प्रयासों की रविवार को सराहना की और कहा कि देश अपनी धर्मनिरपेक्षता बनाए रखने के लिहाज से खास है। दलाई लामा यहां तीन मूर्ति भवन में स्थित नेहरू मेमोरियल म्युजियम एंड लाइब्रेरी में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद के सहयोग से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
दलाई लामा ने कहा, “भारत धर्मनिरपेक्ष परंपरा का पालन करता है, यह सभी धर्मो का आदर करता है और साथ ही धर्म न मानने वालों का भी आदर करता है, जो कि अपने आप में अनोखा है। यह देश की महानता है कि भिन्न-भिन्न धर्म एकसाथ चल रहे हैं, वह भी भाईचारा की भावना के साथ।”
उन्होंने कहा, “भारतीय सभ्यता ने सबसे महान विचारक और दार्शनिक पैदा किए हैं। भारतीय में समुदायो ने यह स्पष्ट कर दिया कि धार्मिक सौहार्द संभव है।”
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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ने अन्य देशों में मजबूत भारतीय समुदाय बनाने पर भी जोर दिया और कहा कि प्रवासियों को अन्य देशों में इंडिया टाउन बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिस तरह से चीनी नागरिकों ने दूसरे देशों में चाइना टाउन बनाया है।
दलाई लामा ने कहा, “दूसरे देशों में जब भी मेरी मुलाकात भारतीयों से होती है, मैं उन्हें उनकी संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने का हमेशा सुझाव देता हूं। भारतीय समुदाय को अपनी संस्कृति के बारे में दूसरों को जानकारी देने के लिए सक्रिय रहना चाहिए, उनकी ये जिम्मेदारी है कि वे सदियों पुरानी अपनी परंपराओं को बढ़ावा दें।”
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दलाई लामा ने तिब्बत के बारे में कहा कि चीनी संविधान ने खास इलाकों को तिब्बत के रूप में मान्यता दी है और इन इलाकों को अपनी भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने का भी अधिकार होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि दलाई लामा मार्च 1959 में तिब्बत से भागकर भारत आ गए थे। तिब्बत की निर्वासित सरकार हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में स्थित है।