कश्‍मीर में अगर पैलेट गन पर रोक लगी तो मजबूरन चलानी पडेंगी गोलियां

CRPFजम्‍मू कश्‍मीर। अगर जवानों को आतंकियों का समर्थन करने वाली उग्र भीड़ पर पैलेट गन इस्‍तेमाल करने से रोका गया तो उन्‍हे भीड़ को काबू में करने के लिए मजबूरन गोलियां चलानी पडेंगी, जिससे ज्‍यादा मौतें होंगी। यह बातें CRPF ने शुक्रवार को जम्‍मू –कश्‍मीर हाईकोर्ट में दाखिल अपने हलफनामें में कहीं। हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई थी जिसमें घाटी में पैलेट गन के इस्‍तेमाल पर रोक लगाने की मांग की गयी थी। इस मामले में आज सुनवाई होगी।

अदालत में दाखिल अपने हलफनामें में सीआरपीएफ का कहना है कि पैलेट बंदूक का इस्तेमाल साल 2010 में शुरू किया गया था। दंगा नियंत्रण का यह स्वीकार्य हथियार है।

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जब कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी हुई हो, तो ऐसी स्थिति में मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन मुश्किल हो जाता है। अनियंत्रित परिस्थितियों में भीड़ पर नियंत्रण के एसओपी के मुताबिक हथियार का निशाना कमर के नीचे का हिस्सा होना चाहिए।

CRPF ने पैलेट गन के इस्‍तेमाल वाली याचिका का किया विरोध

सीआरपीएफ का कहना है कि , सड़कों पर कानून-व्यवस्था से जुड़े जो हालात बन रहे हैं वे अस्थिर और गतिशील हैं। ऐसी स्थिति में हिलते-डुलते, दौड़ते और घूमते लक्ष्यों पर सटीक निशाना लगाना कभी-कभार मुश्किल हो जाता है। सीआरपीएफ ने बताया है कि नौ जुलाई से 11 अगस्त के बीच घाटी में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान उसकी ओर से लगभग 3,500 पैलेट कारतूस चलाए गए। यह यचिका उच्च न्यायालय के बार संघ ने 30 जुलाई को दायर की थी।

इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अभी जवाब दाखिल नहीं किया गया है।

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