सीआईए ने घटाया कॉटन प्रोडक्शन अनुमान, खपत में इजाफा संभव

नई दिल्ली। भारतीय बाजार में रूई (कॉटन) में आगे तेजी रहने के आसार हैं क्योंकि कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने फिर उत्पादन अनुमान में कटौती जबकि खपत में बढ़ोतरी की है। सीआईए ने चालू कॉटन सीजन 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) के उत्पादन अनुमान में पांच लाख गांठ (170 किलोग्राम) की कटौती की है जबकि घरेलू खपत में 10 लाख गांठ और निर्यात में पांच लाख गांठ की बढ़ोतरी की है।

सीआईए

सीआईए के प्रेसिडेंट अतुल गंतरा के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कॉटन की कीमतें काफी ऊपर हैं और भारतीय कॉटन दुनिया में सबसे सस्ता है इसलिए निर्यात में इजाफा होने की प्रबल संभावना है।

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नौ मार्च को हुई सीएआई की बैठक के बाद सोमवार को जारी अनुमान में देश में इस साल कॉटन का उत्पादन 362 लाख गांठ रह सकता है जबकि पिछला अनुमान 367 लाख गांठ था।

कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में दो-दो लाख गांठ और अन्य जगहों पर एक लाख गांठ कॉटन का उत्पादन घट सकता है। उत्पादन में कमी की मुख्य वजह पिंकबॉल वर्म का हमला बताया गया है।

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सीआईए ने कॉटन निर्यात अनुमान को 55 लाख गांठ से बढ़ाकर 60 लाख गांठ कर दिया है। सीआईए के मुताबिक 31 मार्च तक भारत 45 लाख गांठ कॉटन का निर्यात करेगा। देसी मिलों की खपत 320 लाख गांठ की जगह अब 330 लाख गांठ होने की उम्मीद है। इस तरह साल के अंत में यानी 30 सितंबर 2018 को देश में कॉटन का स्टॉक 42 लाख गांठ के बजाय 22 लाख गांठ शेष बचेगा।

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