
किताबें ही किसी भी व्यक्ति की सच्ची साथी होती है। इंसान किताबों से हर वो बात बता देता है जो ना जाने कितने अरसे से अपने दिल में छुपाए बैठा होता है। किताबें ही है जो बिना कुछ कहें बस आपकी बातों को सुननी हैं। लेकिन आजकल जमाना इतना डिजीटल हो गया है कि किताबों का स्थान अब नेट ने ले लिया है। जब आपको सभी कुछ नेट पर मिला जाता है तो आप किताबों पर से अपनी हाथ खींच लेते हैं। लेकिन इससे किताबों की महत्ता खत्म नहीं हो जाती है।
पुरानी तकनीक को छोडे़ं पीछे
भारत भले ही कितना ही आगे क्यों ना बढ़ गया हो लेकिन बच्चों को पढ़ाने का तरीका आज भी वहीं पुराना है। आज बच्चों के हाथ में किताबें यहीं सोच कर थमाई जाती हैं कि इस किताब में जो कुछ भी लिखा है वह बस याद ही करना है। किताबे पढ़ने का यह तरीका काफी बोरिंग हो जाता है। इसलिए आज के बच्चे किताबों से अपना ध्यान हटा रहे हैं। यह बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती है। इसके बाद यहीं बच्चा उन किताबों से इतनी दूरी बना लेता है कि आप सोच भी नहीं सकते हैं।
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क्रिएटिव
अपनी और अपने बच्चों की जिंदगी में थोडा क्रिएटिविटी के रंग घोल दें। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि आज के बच्चों को केवल किताबी समझ के साथ-साथ संसार के बारे में थोड़ी समझ होना चाहिए। ऐसा करने के लिए अपने बच्चों के कमरे में एक छोटी सी बुक शेल्फ रख दें। उसमें अपने बच्चें के मन को देखते हुए किताबें रखें। रोज रात में सोने से पहले अपने बच्चों के साथ इन किताबों के पढ़ें। ऐसा करने से बच्चों का रूझान किताबों की तरफ खुद व खुद होने लगेगा।