नोटबंदी: कैशलेस की दौड़ में नम्बर 1 पर था ये गांव लेकिन अब…

पीएम मोदीनई दिल्ली। पीएम मोदी ने पिछले साल 8 नवम्बर को नोटबंदी का ऐलान किया था। जिसके बाद से देश भर में 1000 औए 500 के पुराने नोट अमान्य घोषित हो गए। हालांकि सरकार ने लोगों को पुराने नोटों को बदलने के लिए काफी मौक़ा भी दिया था।

नोटबंदी के फैसले के बाद कैशलेस का चलन बढ़ा और कैशलेस प्रणाली को जबरदस्त उड़ान मिली। इस बयार में मध्य प्रदेश के एक गांव को सबसे पहला ‘कैशलेस गांव’ करार दिया गया था। इसकी घोषणा करने के लिए बाकायदा बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लेकिन नोटबंदी के एक साल पुरे होने पर इस गांव का हाल बेहाल हो चुका है। इस गांव में भी देश के अन्य भागों की तरह कैश ही राजा है।

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भोपाल से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बड़झिरा नाम के इस गांव का दौरा किया। इस दौरान पता चला कि नोटबंदी के एक साल बाद यहां हर लेनदेन कैश में हो रहा है। कैशलेस गांव में भी कैश का ही राज है।

आपको बता दें कि इस गांव को कैशलेस घोषित करने के लिए राज्य सरकार ने बैंक ऑफ बड़ोदा के साथ मिलकर यहां कई कार्यक्रमों का आयोजन किया था। इनमें पीओएस मशीनें और कैशलेस लेनदने के अन्य इंतजाम दिखाकर बताया गया कि आखिर कैसे नोटबंदी के बाद यह राज्य का पहला कैशलेस गांव बन गया है। लेकिन कैशलेस होने की घोषणा के दौरान जितनी भी पीओएस मशीनें दिखाई गईं थीं, अब वह कहीं भी नजर नहीं आ रही हैं। यहां हर कारोबारी लेनदेन अब नगद में हो रहा है।

इन वजहों से फिर बढ़ा कैश का राज

कैशलेस लेनदेन में लोगों की रुचि कम होने के पीछे कई वजहे हैं। यहां बैंक ऑफ बड़ोदा की तरफ से लगी एटीएम भी हफ्तों तक खराब रहती है। इसके अलावा कैशलेस लेनदेन के लिए ग्रामीणों को एक्स्ट्रा चार्ज भी भरना पड़ता है। इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा किसानों पर। जिन्हें पेमेंट तो चेक और आरटीजीएस पेमेंट के जरिये किया जा रहा है, लेकिन उन्हें हर चीज नगद देकर खरीदनी पड़ रही है।

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नोटबंदी से कुछ हासिल नहीं हुआ

गांव के कारोबारियों का भी यही हाल है। उनका कहना है कि नोटबंदी से कुछ भी हासिल नहीं हुआ। कारोबारी रोहित सेन कहते हैं, ” ज्यादातर समय महिलाएं घर में अपने पास नगद बचा कर रखती थीं। इस नगदी से कई जरूरी काम निपट जाते थे, लेकिन नोटबंदी ने वह नगदी पूरी तरह से छीन ली है। इसके साथ ही कालेधन को पकड़ने के लिए नोटबंदी की शुरुआत की गई थी, लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ। इस तरह नोटबंदी पूरी तरह फेल साबित हुई है।”

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