बिना चीरा लगाए होगा मस्तिष्क का इलाज

नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा अविष्कार किया है जिससे आपका ऑपरेशन हो जाएगा वो भी बिना चीरा लगाए। ये कोई थ्योरी नहीं बल्कि सच्चाई बनने वाली है।

मस्तिष्क का इलाज

दरअसल, वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्रणाली विकसित कर ली है, जिसके जरिए जल्द ही डॉक्टरों को मस्तिष्क की त्वचा के अंदर झांकने के लिए स्कैलपल (डॉक्टरों के इस्तेमाल में आने वाली छुरी) की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसा एक संवर्धित वास्तविकता प्रणाली के कारण मुमकिन हो सकेगा।

वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रणाली के इस्तेमाल से बगैर चीड़-फाड़ के ही शरीर की आंतरिक रचना को देखा जा सकेगा।

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इसका नाम वैज्ञानिकों ने प्रोजेक्टडीआर रखा है। इस तकनीक के जरिए सीटी स्कैन और एमआरआइ जैसी इमेजिंग तकनीक से उपलब्ध डाटा को मरीज के शरीर पर सीधे तौर पर प्रदर्शित किया जा सकेगा। अगर इस दौरान मरीज जरा सा भी हिल्ता है तो यह डेटा भी उसकी प्रकार हिलेगा।

कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा के इयान वाट्स के मुताबिक वह प्रोजेक्टडीआर का इस्तेमाल जल्द ही आपरेशन थियेटर में भी किया जाएगा।

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आगे वाट्स ने बताया कि हम एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहते थे जो डॉक्टरों को मरीजों के शरीर की आंतरिक रचना को दिखाने में सक्षम हो। संवर्धित वास्तविकता (एआर) वास्तविक दुनिया का एक लाइव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दृश्य है। इसे कंप्यूटर द्वारा मानव के शरीर की अवधारणा के आधार पर संवर्धित कर दिया जाता है। इस तकनीक के तहत इंफ्रारेड कैमरों और मार्करों की मदद से गति पर निगाह रखी जाती है। साथ ही प्रोजेक्टर पर तस्वीर दिखाई देती रहती है।

वाट्स ने आगे बताया कि मरीज के शरीर के हिलने-डुलने पर तस्वीरों को ट्रैक करना आसान नहीं होता। इसे ध्यान में रखते हुए इस प्रणाली के सभी यंत्रों को एक साथ काम करने दिया जाता है। इस प्रणाली के तहत शरीर के किसी विशेष हिस्से की भी संवर्धित तस्वीर देखी जा सकती है।

साभार: दैनिक जागरण

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