गुजरात और हिमाचल का फाइनल रिजल्ट : ‘मोदीमय’ हुए दोनों राज्य
नई दिल्ली. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए सोमवार को मतगणना हुई. इन दोनों राज्यों में भाजपा ने बाजी मारी है. इसके साथ ही कांग्रेस मुक्त भारत की ओर भाजपा एक कदम और आगे बढ़ गई है. इस जीत के बाद भाजपा 18 राज्यों की सूची में एक और नाम जोड़कर 19 राज्यों को जीतने में सफल रही है.
गुजरात का हाल- (कुल 182 सीटें)
गुजरात का चुनाव इसबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी खासा निर्णायक साबित हुआ है. उनके लिए गुजरात जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था. गुजरात में भाजपा की हार से 2019 का रास्ता खासा कठिन हो जाता. लेकिन जीत ने मोदी को थोड़ा सा आश्वस्त ज़रूर किया है.
हालांकि, भाजपा के लिए यह जीत जबरदस्त नहीं कही जा सकती. गुजरात में 22 साल के शासन के बाद भाजपा का प्रदर्शन लगातार सिमटता नजर आ रहा है. भले ही इस बार गुजरात में भाजपा की जीत हुई हो लेकिन वोट शेयर के मामले में वो कांग्रेस से कमतर ही रही है.
गुजरात में साल 2002 में 127 सीटों को जीतने वाली भाजपा 2007 में 117 ही जीत पाई थी. जबकि, 2012 में भाजपा को 115 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.
वहीँ ख़बरों के अनुसार 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 99 सीटों के साथ जीत दर्ज की है. जबकि कांग्रेस को 80 और अन्य के खाते में 3 सीटें गई हैं. लेकिन अपने पिछले आंकड़े को नहीं छू पाई. मतलब साफ़ है कि भाजपा भले ही सरकार बना रही हो लेकिन कांग्रेस ने जीत की मिठास कम जरूर कर दी है.
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देखने वाली बात यह भी होगी कि 2 दिन पहले ही कांग्रेस मुखिया बने राहुल गांधी इस हार को कैसे झेलते हैं. क्योंकि चुनाव प्रचार में वह ही पार्टी का मुख्य चेहरा थे लिहाजा शिकस्त की जिम्मेदारी भी उनको ही लेनी होगी.
इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से चुनाव प्रचार किया उससे ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में पीएम मोदी को राहुल गांधी से कड़ी टक्कर मिलने वाली है. कांग्रेस के पास इस चुनाव में खोने को कुछ नहीं था फिर भी वह अपने जनाधार को बचाने में कामयाब रही है. मतलब साफ़ है. कांग्रेस के लिए यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है.
गुजरात चुनाव के नतीजे यह भी संकेत देते हैं कि नरेंद्र मोदी को अपने आर्थिक सुधारों के बारे में फिर से सोचना होगा. ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि जो रिस्क उन्होंने गुजरात में देखा वो कहीं और न देखना पड़े.
इस चुनाव में एक अहम बात और सामने आई है. जिन सीटों को भाजपा अपना सबसे मजबूत किला मानती थी उनमें कांग्रेस ने अच्छी सेंधमारी की है. मतलब साफ़ है कि आगे चल कर कांग्रेस इस राज्य में अपनी नई जमीन तैयार करने में सफल हो सकती है. कांग्रेस के लिए यह शुभ संकेत है और पार्टी इस बात पर जरूर गौर करेगी.
हिमाचल का हाल- (कुल 68 सीटें)
हिमाचल प्रदेश में भी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल समेत 337 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला हुआ. भाजपा के सीएम उमीदवार प्रेम कुमार धूमल को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. राज्य में भाजपा और कांग्रेस ने सभी 68 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.
यहां भी भाजपा ने जीत का परचम लहराया है. आकलन के विपरीत यहां भी कांग्रेस का प्रदर्शन इतना बुरा नहीं रहा. यहां भी कांग्रेस की हार को इतना बुरा नहीं कहा जा सकता.
हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य की 68 सीटों में से कांग्रेस को 36, बीजेपी को 26 तो अन्य को 6 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को 2007 की तुलना में 2012 के विधानसभा चुनाव में 13 सीटों का फायदा हुआ था, वहीं बीजेपी को 2007 की तुलना में 2012 में 16 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था.
वहीँ ख़बरों के अनुसार, 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 44 सीटों के साथ सूबे में ज़बरदस्त वापसी की है. जबकि कांग्रेस को 21 व अन्य के खाते में 3 सीटें गई हैं.
लौटा EVM का भूत
इसे हार की वजह से पैदा हुई निराशा कहें या फिर नेताओं की हताशा लेकिन विपक्ष ने ईवीएम का मुद्दा फिर छेड़ दिया है. विपक्षी खेमे ने एक बार फिर ईवीएम का ट्विस्ट दिया है और इसमें गड़बड़ी की बात दोहराई है.
गुजरात के चुनाव प्रभारी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने शुरुआती रुझानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि परिणाम चाहे कुछ भी रहें, लेकिन जीत कांग्रेस की ही मानी जाएगी क्योंकि ईवीएम को लेकर जनता में भारी शंका है.
उन्होंने कहा कि जनता कह रही है कि अगर ईवीएम ठीक रही तो कांग्रेस ही जीतेगी. गहलोत ने कहा कि ईवीएम को लेकर जनता में भारी शंका है, इसलिए इस पर विचार होना चाहिए. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव आयोग जनता के मन से भ्रम हटाने के लिए आगे से बैलेट पेपर पर चुनाव कराने चाहिए.
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नतीजों से पहले ही पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी बीजेपी पर आरोप लगाया था. उनका कहना था कि अगर ईवीएम में गड़बड़ी नहीं हुई तो बीजेपी चुनाव हार जाएगी. हार्दिक ने शनिवार देर रात ट्वीट कर आरोप लगाया था कि अहमदाबाद की एक कंपनी के द्वारा 140 सॉफ्टवेयर इंजीनियर के हाथों करीब 5000 ईवीएम के सोर्स कोड से हैकिंग की तैयारी की जा रही है.
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने ईवीएम को लेकर कांग्रेस को जवाब भी दिया है. उन्होंने कहा कि ईवीएम की स्थिति कांग्रेस से ही पूछनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनावी प्रक्रिया बदनाम करने की कोशिश की है.
कांग्रेस का क्या होगा?
भाजपा ने 19 राज्यों में अपनी सत्ता को बरकरार रखा है. मौजूदा दौर में बीजेपी के हाथों में अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, मणिपुर, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मणिपुर और गुजरात में बीजेपी अपने दम पर सत्ता में है. बीजेपी ने देश के बाकी पांच राज्यों में गठबंधन की सरकार है. इनमें बिहार, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और नागालैंड शामिल है.
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अगर बात कांग्रेस की करें तो हिमाचल की हार के साथ कांग्रेस के पास सिर्फ चार राज्य तक सिमट गई है. इनमें कांग्रेस के पास सिर्फ दो बड़े राज्य कर्नाटक और पंजाब ही बचेंगे. इसके अलावा मेघालय और मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है.
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