सपा की जीत के बाद दहाड़ी मायावती, दलितों के खिलाफ भाजपा ने छेड़ा युद्ध

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में गोरखपुर-फूलपुर लोकसभा सीट जीतने के बाद गुरुवार को मायावती ने बड़ी रैली निकाली। चंडीगढ़ में रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि पंजाब की सरकार ने दलितों और कांशीराम को गंभीरता से नहीं लिया। पंजाब सरकार ने उन्हें नज़रअंदाज कर दिया था। उन्होंने कहा कि दलितों के त्याग को गंभीरता से नहीं लिया गया था, पंजाब में कार्यकर्ता खुद मेहनत करें।

मायावती

आगे कहा कि जब से केंद्र और देश के कई राज्यों में बीजेपी सरकार बनी है, तभी से आरएसएस के एजेंडे को लागू करने की कोशिश की जा रही है। दलित, मुस्लिम समेत गरीब तबकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने कहा कि दलितों के खिलाफ हो रही हिंसा के मामलों में तेजी आई है। उन्होंने हैदराबाद और ऊना घटना का भी जिक्र किया।

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मायावती ने कहा कि जब मैंने इस बात को राज्यसभा में बात रखने की कोशिश की तो मेरी बात को नहीं रखने दिया गया था। इसी वजह से मैंने राज्यसभा से ही इस्तीफा दे दिया था।

मायावती ने कहा कि अगर मैं देश की संसद में ही दलितों की बात नहीं रख सकती हूं तो यहां रहने का क्या मतलब, इसलिए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। मायावती ने आगे कहा कि बीजेपी दलित विरोधी पार्टी है।

उन्होंने कहा कि आरक्षण को रोकने के लिए प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। बसपा ने कभी भी पिछड़े समाज को आरक्षण देने का विरोध नहीं किया है, मंडल कमीशन की रिपोर्ट को हमारे दबाव के बाद ही लागू किया गया था।

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उत्तर प्रदेश की गोरखपुर-फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में सपा के साथ गठबंधन पर बसपा ने काफी समय के बाद जीत का स्वाद चखा है। मायावती की इस रैली को 2019 चुनावों के लिए बसपा की ओर से शंखनाद बताया जा रहा है। बसपा के संस्थापक रहे कांशीराम का आज जन्मदिन है, इसी मौके पर ये रैली आयोजित की गई।

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