संविधान पर बड़े हमले की तैयारी में भाजपा : शशि थरूर

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि अगर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को संसद के दोनों सदनों में बहुमत हासिल हो जाता है, तो वह लोकतंत्र पर बड़ा हमला कर सकती है, जिसकी वह तैयारी में है। थरूर का मानना है कि कश्मीर पर अनुच्छेद 370 जैसे विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों पर हमला एक ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के प्रयास का हिस्सा होगा।

संविधान पर बड़े हमले

केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य थरूर साथ ही मानते हैं कि कांग्रेस और समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष दलों को आगामी लोकसभा चुनाव में हिंदुत्व के प्रहार को रोकने के लिए एक मंच पर साथ आना चाहिए।

थरूर ने एक साक्षात्कार में कहा, “मुझे लगता है कि उनका असली एजेंडे काफी कुछ दोनों सदनों के उनके नियंत्रण में आने का इंतजार कर रहा है। और एक बार ऐसा हो जाने पर मुझे लगता है कि आप निश्चित तौर लोकतंत्र पर एक बड़ा प्रहार देखेंगे।”

उन्होंने याद किया कि अटल बिहारी वाजपेयी के तहत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एम.एन. वेंकटचेलैया के तहत एक संविधान समीक्षा समिति का गठन किया गया था, लेकिन वह हिंदू राष्ट्र की विचारधारा पर काम नहीं करती थी।

थरूर ने कहा कि लेकिन ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक के.एन. गोविंदाचार्य के तहत गठित समिति वर्तमान व्यवस्था के लिए काम कर रही है। विभिन्न मीडिया रिपोर्टो और साक्षात्कारों में यह कहा जा चुका है, जिसे कभी चुनौती नहीं दी गई। गोविंदाचार्य जो करने का प्रयास कर रहे हैं, उसके बारे में वह पत्रकारों से कुछ हद तक खरेपन से पहले ही कह चुके हैं।

थरूर ने कहा, “उनका कहना है कि समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, इन सभी को जाना होगा। अगर वे ऐसी परियोजना पर काम कर रहे हैं, तो मुझे लगता है कि वे इस बारे में काफी गंभीर हैं। केवल इतना ही है कि शायद उन्हें लगा होगा कि पहले ही कार्यकाल में ऐसा करना काफी बड़ा जोखिम होगा, जब तक कि उन्हें राज्यसभा में भी बहुमत नहीं मिल जाता।”

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थरूर ने कहा, “इसलिए मुझे लगता है कि वे सचमुच और शायद अयथार्थवादी तौर पर दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं, जिसके बाद वे इसके लिए कदम उठाएंगे। वे लड़ाई को बिना तैयारी के ऐसे समय में नहीं लड़ना चाहते, जब उन्हें हार का सामना करना पड़ सकता है।”

थरूर ने कहा कि भाजपा ने इस बीच प्रयोग के तौर पर तीन तलाक जैसे मुद्दे उठाए हैं, जिससे उन्हें धार्मिक महत्व के मुद्दों पर अपनी ताकत परखने का मौका मिले।

थरूर ने कहा कि वह इस बात को लेकर तब से हैरान हैं, जब मोदी ने कहा था कि सत्तारूढ़ दल को जनसंघ के नेता दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा को अपनाना चाहिए, क्योंकि यह वही उपाध्याय हैं, जिन्होंने कहा था कि संविधान को फाड़ देना चाहिए, क्योंकि यह बाहर से लिए विचारों से भरा है। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान उनके लिए एक पवित्र किताब है।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि अच्छा होता, अगर प्रधानमंत्री कहते कि मैं उपाध्याय की कई बातों का प्रशंसक हूं, लेकिन संविधान को लेकर मैं उनसे सहमत नहीं हूं। लेकिन उनका ऐसा न कहना संशय पैदा करता है।”

अपनी नवीनतम किताब ‘ह्वाइ आई एम ए हिंदू’ के संदर्भ में थरूर से पूछा गया था कि उन्होंने हिंदुत्व को लेकर जो लिखा है, उसी के आधार पर क्या वह चाहेंगे कि उनकी पार्टी भाजपा का विरोध करे। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व की अंतर्निहित ताकत को देखते हुए वह इस मुद्दे पर ज्यादा बल नहीं देना चाहते।

उन्होंने कहा, “अन्य शब्दों में, हालांकि हम ऐसे लोगों की तरह व्यवहार कर रहे थे कि हम अच्छे लोग हैं जो निजी रूप में पूजा करते हैं, वे (भाजपा) ऐसे लोग हैं, जो धार्मिक होने का दिखावा करते हैं और अपने मतदाताओं से कहते हैं, ‘देखिए हम आपकी तरह हिंदू हैं और आपको हमें ही वोट देना चाहिए और वे ईश्वर को न मानने वाले धर्मनिरपेक्ष लोग हैं।”

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उन्होंने कहा, “इसलिए राहुल गांधी गुजरात में मंदिरों में जाकर यह कहना चाहते हैं कि वे मंदिरों में जाते हैं, हम भी मंदिरों में जाते हैं, तो आइए अब हम अपने मुद्दों को समान मानें और अब विकास के बारे में बात करें, इस बारे में बात करें कि भाजपा के शासन में क्या आपकी जिंदगी बेहतर हुई है?”

थरूर ने कहा, “मेरे विचार में राजनीतिक रूप से, हम इसी बात पर सबसे सशक्त बहस कर सकते हैं कि क्या आप चार साल पहले या पांच साल पहले बेहतर स्थिति में थे? और अगर नहीं, तो आप उन्हें फिर से वोट क्यों देना चाहते हैं?”

आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां के बारे में पूछने पर थरूर ने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी और गलत होगा, क्योंकि अभी वह इस बारे में बात करने की स्थिति में नहीं हैं।

उन्होंने कहा, “मैं कहूंगा कि कई ऐसे राज्य हैं, जहां हमारे और भाजपा के बीच सीधी टक्कर होगी और गठबंधन का ज्यादा परिणाम नहीं निकलेगा। लेकिन विपक्षी एकता के लिए हम गठबंधन कर सकते हैं।”

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अपनी नवीनतम किताब लिखने के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें 20 साल पहले ‘बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ में’ यह विचार आया था। उन्होंने कहा, “लेकिन हिंदुत्व ने जिस हद तक हिंदू विचारधारा को हमारे सार्वजनिक जीवन के केंद्र में लाने की कोशिश की है, उसके कारण इस विषय पर एक पूरी किताब अनिवार्य रूप से लिखना जरूरी था।”

लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए हिंदुत्व का जिस तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, वह उनके लेखन का असली कारण है।

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