पूर्वोत्तर की ‘हीरो’ बनी भाजपा, भगवा जादू छाने के ये हैं 5 बड़े कारण

नई दिल्ली: पूर्वोत्तर के नतीजों से एक बात तो साफ़ है कि पीएम नरेन्द्र मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार होने में ज्यादा समय शेष नहीं है। बीजेपी का एक के बाद एक राज्यों में जीत हासिल करना इसी बात का संकेत है।

कांग्रेस मुक्त भारत

असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के बाद त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में लहराता हुआ भगवा रंग बदलती हुई राजनीती की ओर इशारा कर रहा है। आइये जानते हैं इसके पीछे क्या 5 बड़े कारण हैं।

कांग्रेस मुक्त भारत की ओर बड़ा कदम!

त्रिपुरा में बांग्लादेशी और आदिवासियों के बीच टकराव बना रहता है। बीजेपी ने इस टकराव को समझते हुए बांग्लादेशी खेमे पर अपनी पकड़ बनाई और ध्रुवीकरण की स्थिति पैदा हुई। इसका फायदा बीजेपी ने हाथों हाथ बटोर लिया।

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बीजेपी ने जिस तरह कांग्रेस से बाहर आए लोगों को पार्टी में शामिल भी किया और उन्हें जीत भी दिलवाई। इस समय कांग्रेस को गहन आत्मविश्लेषण की जरुरत है।

पूर्वोत्तर के लोगों ने बीजेपी पर जिस तरह से भरोसा जताया है उसके पीछे एक तथ्य ये भी है कि चीन के बढ़ते दखल का सामना करने के लिए उनको भारत सरकार की सरपरस्ती की दरकार है। इसलिए त्रिपुरा की जनता ने बीजेपी को मजबूत स्थिति में पहुंचाया है।

पूर्वोत्तर के लोग खुद को भारतीय अर्थव्यवस्था की मूल धारा से काफी अलग मानते हैं। उनके पास विकल्प की कमी है। बड़े शहरों में पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों की बढ़ती संख्या इस बात की सूचक है कि वहां के जमीनी हालात ठीक नहीं है। ऐसे में जनता नए विकल्प की तलाश कर रही है और बीजेपी को एक मौका दिया गया है।

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असम में मिली जीत के बाद बीजेपी ने दूसरी पार्टियों के नाराज नेताओं को खोजना शुरू किया। असम में उनको हेमंत बिस्वा का साथ मिला था। हेमंत उत्तर पूर्वी राज्यों में कांग्रेस की ताकत से बखूबी वाकिफ हैं। उन्हें कांग्रेस की कमजोर नब्ज की भी जानकारी है। हेमंत के संपर्क के बदौलत ही सीपीआई और टीएमसी नेताओं ने बीजेपी में जाना शुरू किया और असर दिखाई दे रहा है।

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