अक्टूबर में पूरा हो जाएगा भाजपा सरकार का मिशन शौचालय, निदेशक ने बताया कैसे होंगे कामयाब

रिपोर्ट- अनुभव शुक्ला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए अक्टूबर 2018 की डेडलाइन तय की है और अधिकारियों का दावा है कि तय वक्त में ये लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। क्योंकि अब तक 95 फीसदी यूपी खुले में शौच से मुक्त भी हो गया है। इतना ही नहीं आपको ये जानकर भी आश्चर्य जरूर होगा कि यूपी में हर एक सेंकेंड में हर शौचालय का निर्माण हो रहा है। इन आंकड़ों पर यकीन तो नहीं होता लेकिन जब दस्तावेज सरकारी हो तो यकीन करना पड़ता है। हम अपनी इस पेशकश में आपको सरकार के इन दावों और उसकी हकीकत से रूबरू कराएंगे।

आकाशदीप

केंद्र की मोदी सरकार का स्वच्छता पर खासा जोर है, खुद पीएम मोदी ने 02 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की पूरे देश में शुरूआत की थी। इसमें साफ सफाई के साथ गावों में शौचालय निर्माण कराना भी शामिल था। हर गांव में शौचालय बनाने का लक्ष्य सभी राज्य सरकारों को दिया गया, उत्तर प्रदेश के हर जिले और गांव को 2019 तक खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए एक समय सीमा तय की गई लेकिन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उस समय सीमा को कम करके अक्टूबर 2018 कर दिया गया और इसका असर भी दिखना शुरू हुआ।

आज सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पूरे प्रदेश में हर दिन लगभग 81000 शौचालय का निर्माण हर दिन हो रहा है। प्रदेश के 11 जिले ओडीएफ घोषित भी हो चुके हैं, इस काम में तेजी  तब आई जब बीजेपी सत्ता में आई। साल 2014 तक यूपी में शौचालय निर्माण का प्रतिशत महज 31 फीसदी था और 2017 तक ये केवल 45 फीसदी ही पहुंच पाया था, हालांकि अप्रैल 2017 से अब तक इसमें काफी तेजी आई और अब प्रदेश में 95 फीसदी इलाके शौचालय से कवर हैं।

यूपी में इस काम की जिम्मेदारी स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के निदेशक आकाशदीप के पास है और वो कहते हैं कि पिछले एक वर्ष में इस काम में इतनी तेजी आई है कि खुद केंद्र सरकार ने यूपी की तारीफ की है।

अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो यूपी वाकई शौचालय निर्माण में पूरे देश में सबसे आगे नजर आता है लेकिन ये भी देखना होगा क्योंकि कागजी आंकडो़ं और जमीनी हकीकत में काफी फर्क होता है। अप्रैल 2018 से अब तक यूपी में 88 लाख शौचालय का निर्माण हो चुका है, जबकि 2017 में 17 लाख शौचालय का निर्माण हुआ था और 2016 में तो स्थिति काफी खराब थी महज 9 लाख ही शौचालयों का निर्माण हो पाया था लेकिन योगी सरकार ने इस काम को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखा।

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आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में अब तक 30630 गावों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। अब यूपी में केवल 1448 गांव ही ओडीएफ घोषित होने बाकी हैं। इस काम के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने खूब पैसा भी दिया था, जिस पंचायती राज विभाग को इस काम के लिए महज कुछ सौ करोड़ का बजट मिलता था उसे बढ़ाकर इस बार बारह हजार करोड़ कर दिया गया, और इसमें से 8500 करोड़ अब तक खर्च भी हो चुका है, इस हिसाब से देखा जाए तो 100 करोड़ से ज्यादा यूपी के एक जिले को केवल शौचालय निर्माण के लिए मिला है। अब जहां इतना भारी भरकम बजट होगा वहां पैसे की बंदरबांट भी खूब होगी और प्रदेश के अलग अलग जिलों से शऔचालय निर्माण में गड़बड़ियों की खबरे ंभी लगातार आती ही रहती है। मिशन डायरेक्टर का कहना है कि कुछ गड़बड़ियां जरूर हुई हैं और उस पर कार्रवाई भी की गई है, साथ ही इनकी मॉनिटरिंग भी की जाती है।

सरकार ने एक अच्छे उद्देश्य के साथ इस स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की थी और इसके बजट में भी कोई कोताही नहीं बरती लेकिन सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार के दीमक से एक अच्छा काम भी महज सरकारी कागजों में ही सफल नजर आ रहा है। जरूरत है कि इसे हकीकत में जमीन पर उतारा जाए।

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