
प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों ने 2 अगस्त को सुबह खतरे के निशान को पार कर लिया, जिससे शहर के दो दर्जन से अधिक मुहल्लों में हजारों घर पानी में डूब गए। बाढ़ के कारण सैकड़ों लोग राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) की टीमें नावों के जरिए बचाव कार्य में जुटी हैं। चंबल नदी में पानी की कमी से कुछ राहत मिली है, लेकिन टोंस नदी के उफान ने चिंता बढ़ा दी है।

बाढ़ की स्थिति
गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 84.734 मीटर को पार कर गया है और लगातार बढ़ रहा है। कानपुर से 80,000 क्यूसेक से अधिक और नरौरा से निरंतर पानी आने के कारण गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। यमुना में चंबल नदी के जलस्तर में कमी से बढ़ोतरी की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन टोंस नदी में तेज प्रवाह ने तटीय इलाकों को बाढ़ की चपेट में ला दिया है। छतनाग से पानी निकासी में रुकावट के कारण कछारी क्षेत्रों में गंगा का पानी और फैलने की आशंका है। नदियों के किनारे बसे दो दर्जन से अधिक मुहल्लों के सैकड़ों घर जलमग्न हो गए हैं, और सड़कों-गलियों में पानी भर गया है।
राहत और बचाव कार्य
प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। 2,000 से अधिक लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं। NDRF और SDRF की टीमें नावों के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं। मेहबूब अली इंटर कॉलेज को राहत शिविर बनाया गया है। शुक्रवार (1 अगस्त) को स्कूल में कक्षाएं चल रही थीं, लेकिन सुबह 11 बजे तक बाढ़ पीड़ितों की भीड़ जमा हो गई। दोपहर 12 बजे स्कूल बंद होने तक 100 से अधिक लोग यहां पहुंचे, जिनके लिए प्रशासन ने रहने की व्यवस्था की।
बाढ़ का अचानक प्रकोप
बृहस्पतिवार (31 जुलाई) की आधी रात तक बेली कछार और आसपास के गांवों में बाढ़ का पानी दूर था। लेकिन शुक्रवार सुबह अचानक पानी ने सैकड़ों घरों को अपनी चपेट में ले लिया। सड़कें और गलियां जलमग्न हो गईं, जिससे लोगों को नावों से निकाला गया। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “आधी रात तक सब ठीक था, लेकिन सुबह घर में पानी भर गया।”
चंबल और टोंस का प्रभाव
- चंबल: शुक्रवार सुबह तक केन, बेतवा, और चंबल नदियां उफान पर थीं। चंबल में पानी कम होने से यमुना की बढ़ोतरी की गति धीमी हुई।
- टोंस: टोंस नदी में तेज प्रवाह ने तटीय इलाकों को बाढ़ की चपेट में ला दिया। इससे गंगा और यमुना के जलस्तर पर अतिरिक्त दबाव बढ़ा है।
प्रशासन की कार्रवाई
प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए हैं और खाद्य सामग्री, दवाइयां, और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। बाढ़ की स्थिति पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। हालांकि, जल निकासी की कमी और छतनाग क्षेत्र में पानी के दबाव ने स्थिति को और जटिल कर दिया है।