
कोरोना वायरस का कहर फैलते ही पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया. जिसको देखते ही व्यापार, नौकरियां रुक गईं . इससे सबसे ज्यादा रोज कमाने वाले मजदूरों पर असर पड़ा. देखते ही देखते सभी मजदूर जो बिहार से दूसरे प्रांतों में रोजगार के लिए गए थे वापिस लौटने लगे. अब बिहार सरकार ने दिल्ली, मुंबई आदि महानगरों से अपना काम छोड़कर बिहार लौटने वाले बेरोजगार मजदूरों के रोजगार के लिए काम शुरू कर दिया है. इन मजदूरों को अब नौकरी के लिए ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. सरकार राज्य में बाहर से आए करीब दो लाख प्रवासी मजदूरों का जॉब कार्ड बनवाएगी.
राज्य के ग्रामीण विकास विभाग ने पहले चरण में इन सभी मजदूरों को मनरेगा जॉब कार्ड देने का फैसला किया है। खास बात यह है कि सभी मजदूरों का ऑन स्पॉट जॉब कार्ड बनेगा। राज्य के सीमावर्ती जिलों में फंसे और अपने जिले के स्कूलों में ठहरे इन मजदूरों का प्राथमिकता के आधार पर मनरेगा कार्ड बनाया जाएगा।
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इससे इन मजदूरों की नौकरी खोजने और पैसा कमाने की परेशानी का निदान एक हद तक हो जाएगा। जॉब कार्ड बनवाने के लिए इनको भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी, कार्ड इनके ठहराव स्थल पर ही बनाया जाएगा।
मनरेगा के अफसर और पंचायत रोजगार सेवक इनके पास जाएंगे और सभी का जॉब कार्ड वहीं बनाएंगे। पहचान का काम पंचायत के मुखिया करेंगे और पहचान स्थापित होते ही जॉब कार्ड बना दिया जाएगा।
सरकार की कोशिश है कि सभी जिलों में एवं खासकर सीवान, गोपालगंज आदि सीमावर्ती जिलों में ठहरे मजदूरों का जॉब कार्ड इसी लॉकडाउन के दौरान बन जाए, ताकि लॉकडाउन खत्म होने पर इन लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार मिल पाए।
विभाग ने सभी मजदूरों से सामाजिक दूरी के आधार पर काम लेने का फैसला किया है। जॉब कार्ड बनाने का निर्देश जल्दी सभी डीएम को भेजा जाएगा। केंद्र की ओर से मनरेगा फंड की मंजूरी मिल गई है।
इसके लिए केंद्र सरकार ने 700 करोड़ रुपये दिए हैं। इन मजदूरों का सर्वाधिक उपयोग जल-जीवन व हरियाली अभियान में किया जाएगा। सभी को जॉब कार्ड के तहत मजदूरी का भुगतान किया जाएगा।