यहां काम नहीं आई ‘चाणक्य’ नीति, भारत को इस पड़ोसी देश ने दिया गच्चा

नई दिल्ली। अभी बीते दिनों जिस खतरे की आशंका भारत ने जताई थी। अब वो हकीकत बन सामने आता दिखाई दे रहा है। दरअसल पड़ोसी देश मालदीव ने भारत के इनविटेशन को ठुकराते हुए ‘मिलन’ कार्यक्रम में आने से इनकार कर दिया है। वहीं दूसरी ओर चीन के साथ मालदीव का याराना ज्यादा ही मजबूत हो रहा है। खबर थी कि मालदीव के समुद्र में चीन एक संयुक्त महासागर वेधशाला (OBS) बनाने की तैयारी कर रहा है। अगर ऐसा हुआ तो चीन का ये कदम भारत के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। इसी बात को लेकर देश ने चिंता जताई थी।

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भारत के लिए बड़ी मुसीबत

अब साफ़ तौर पर भारत की ओर से दिए गए निमंत्रण को अस्वीकार करना कहीं न कहीं इस बात की ओर इशारा करता है कि आशंका हकीकत बन सामने आ सकती है। यानी पीएम मोदी की ‘विदेश नीति’ जिसकी दुनिया कायल है वो यहां कारगर साबित नहीं हो पाई।

हालांकि भारत ने मालदीव में सैन्य हस्तक्षेप से खुद को दूर रखा है और इस बात पर जोर दिया है कि वहां के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली को कायम करें।

बता दें भारत का पड़ोसी देश मालदीव हाल ही में राजनीतिक संकट से गुजरा है। इस दौरान मालदीव चीन के काफी करीब आया और भारत के साथ संबंधों में कई तरह के सवाल खड़े हुए।

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मिलन एक मल्टीलेवल नेवल एक्सरसाइज़ है जो कि भारतीय नेवी द्वारा आयोजित की जा रही है। भारत की ओर से इसमें शामिल होने के लिए मालदीव को निमंत्रण दिया गया था, लेकिन मालदीव ने इसे ठुकरा दिया है। ये एक्सरसाइज़ 6 से 13 मार्च को की जाएगी। इस अभ्यास में कुल 16 देश शामिल होंगे।

इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार, न्यूज़ीलैंड, ओमान, वियतनाम, थाईलैंड, श्रीलंका, सिंगापुर, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, केन्या, कंबोडिया जैसे देश शामिल हैं।

बता दें मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अपने देश का संकट सुलझाने के लिए भारत से राजनयिक एवं सैन्य दखल देने की अपील की थी।

मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था और सुप्रीम कोर्ट के जजों को गिरफ्तार कर लिया था।

हालांकि, भारत ने किसी प्रकार की सैन्य मदद नहीं भेजी थी, जिसके बाद मालदीव की चिंता सामने आई थी। इस बीच चीन ने लगातार इस मसले पर नज़र बनाई हुई थी, जिसके कारण मालदीव का रुख चीन की ओर गया।

इससे पहले नेवी चीफ एडमिरल सुनील लांबा ने राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम को कहा कि हिंद महासागर में चीन की बढ़ती एक्टिविटी पर भारत की नजर है।

पिछले कुछ समय में चीन की गतिविधियां बढ़ी हैं और इस समय करीब 8 से 10 जहाज हिंद महासागर में मौजूद हैं।

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