गोंडा में खनन माफिया पर बड़ी कार्रवाई, एनजीटी ने लगाया 212 करोड़ का जुर्माना

रिपोर्ट- विशाल सिंह

गोंडा। जिले में सफेद रेत के काले कारोबार पर अंकुश और खनन से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नें कड़ी कार्यवाई करते हुए 212 करोड़ रूपये का जुर्माना ठोका है। 2011 से लेकर 2017 तक जिले में बालू खनन से पर्यावरण के अलावा रेलवे ट्रैक के किनारे की जमीनें धंस गई थी।

खनन

इसको लेकर हमने लगातार खबरें दिखाई और कार्यवाही भी हुई थी मगर प्रशासन – अफसर और सफेदपोशों की मिलीभगत से जिले में लगातार खनन होता रहा। हालांकि इन सबके बाद नींद से जागे जिले से भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह नें एनजीटी में शिकायत की जिसकी सुनवाई चल रही थी और अब एनजीटी नें डीएम – एसपी और अन्य अधिकारियों को तलब करने के बाद बड़ी कार्यवाही करते हुए 212 करोड़ रुपये का जुर्माना किया है।

रेत के काले कारोबारी हाफिज अली सहित कारोबारियों पर एनजीटी ने जुर्माना किया है और प्रदेश सरकार को इसकी वसूली कर पर्यावरण संरक्षण पर खर्च करने का निर्देश दिया है। यहां सबसे दिलचस्प बात यह है कि खनन माफिया हाफिज अली का सिक्का हर सरकार में चला है और सभी राजनैतिक पार्टियों में सांठगांठ के चलते खनन का धंधा फलता फूलता रहा है।

हालांकि कार्यवाही के तौर पर हाफिज की करोड़ो की सम्पत्ति सीज हुई और चल-अचल संपत्तियों पर प्रशासन ने सरकारी झंडी गाड़ दी थी। अब जब एनजीटी ने कार्यवाही की है तो सभी के हाथ पांव फूल गये हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि जनपद में 2011 से 2017 तक कौन कौन अधिकारी तैनात रहे जिन पर अवैध खनन पर नकेल कसने की जिम्मेदारी थी।

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आखिर डीएम, एसपी, खनन अधिकारी, एसडीएम और खनन निरीक्षक के अलावा राजस्व और अन्य विभागों के उन अधिकारियों की भी तो जिम्मेदारी तय होगी जिनके ऊपर खनन को रोकने का जिम्मा था। हालांकि अब तत्कालीन जिलाधिकारी प्रभांशु श्रीवास्तव का कहना है कि हमने खनन माफियाओं के खिलाफ कैवियट करने की तैयारी कर रखी है जिससे रेत के सौदागरों को न्यायालय से कोई रिलीफ न मिल सके और आदेश की कापी मिलते ही 82/83 के साथ वसूली की भी कार्यवाही की जाएगी।

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