होता है पुर्नजन्‍म, भूटान के प्रिंस ने कर दिया साबित!

 

भूटान के राजानई दिल्ली। चार दिवसीय दौरे पर भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक भारत आए हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बुधवार को उन्होंने मुलाकात की। इस दौरान राजा खेसर की पत्नी महारानी जेटसन पेमा वांगचुक और प्रिंस जिग्मे नामग्याल वांगचुक भी उनके साथ थे। इस बीच भूटान के राजा के बेटे के बारे में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं।

पीएम मोदी के साथ खेलने वाले प्रिंस जिग्मे नामग्याल वांगचुक का परिवार भी उस समय हैरान रह गया जब उन्होंने अपने बेटे की भूटान में कही बातों को भारत में सच होते पाया। तीन साल के बच्चे ने बताया था कि उसने नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है। उसने 8वीं शताब्दी के बारे में सारी बातों की भी जानकारी दी थी।

यह सब अचानक नहीं हुआ। एक साल की उम्र से ही जिग्मे वांगचुक नालंदा विश्वविद्यालय की रट लगाए है। उस समय किसी ने ध्यान नहीं दिया। बेटे के बड़े होने पर उसने साफ बताया कि पिछले जन्म में उसने यहां पढ़ाई की है, यह सुनना सभी के लिए काफी आश्चर्यजनक अनुभव था।

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सिर्फ इतना ही नहीं, बेटे की कही वो सारी बातें सच निकल रही थीं जो वह भूटान में कहा करता था। प्रिंस ने उस कमरे का भी जिक्र किया था जहां बैठकर उसने शिक्षा ली थी।

इसके बाद उसे नालंदा विश्‍वविद्यालय घुमाने लाया गया। काफी भाग-दौड़कर उसने कमरे का खंडहर खोजा। उसने सोने वाला कमरा भी दिखाया।

उस समय वहां मौजूद नालंदा के पुलिस अधीक्षक ने कहा था- तीन साल के बच्चे ने नालंदा विश्वविद्यालय से पूर्व जन्म से संबंधित यादों को लेकर जिस तरह से जानकारी दी वह आश्चर्यजनक हैं।

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बता दें कि नालंदा खंडहर में भूटान की राजमाता अपने परिवार के साथ पहुंची थी। तब वहां जिग्मे वांगचुक ने खंडहर में मौजूद विभिन्न अवशेषों और संरचनाओं के बारे में कई चौंकाने वाली जानकारियां दी थीं। उन्‍होंने कहा था कि भगवान बुद्ध की कृपा से उसका पुनर्जन्म राज घराने में हुआ है।

गौरतलब है कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान 5वीं सदी (413 ईस्वीं) में हुई थी। 1193 में आक्रमण के बाद इसे नेस्तनाबूत कर दिया गया था।

इस विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय गुप्त शासक कुमार गुप्त प्रथम 450-470 को प्राप्त है। यह विश्व का प्रथम पूर्णतः आवासीय विश्वविद्यालय था। उस समय इसमें विद्यार्थियों की संख्या करीब 10,000 और अध्यापकों की संख्या 1500 थी।

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