सबरीमाला पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से नाखुश दिखे भागवत, कहा भक्तों के विश्वास से हुआ खेल

नागपुर| राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की गुरुवार को आलोचना की। भागवत ने कहा कि फैसला दोष पूर्ण है क्योंकि इसमें सभी पहलुओं पर विचार नहीं किया गया और इसलिए इसे सहजता से स्वीकार नहीं किया जाएगा।
सबरीमाला पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से नाखुश दिखे भागवत, भक्तों के विश्वास से हुआ खेल
भागवत ने रेशिमबाग में विजयादशमी के मौके पर राष्ट्रीय स्वंयसेवकों से कहा, “यह फैसला सभी पहलुओं पर बिना विचार किए लिया गया, इसे न तो वास्तविक व्यवहार में अपनाया जा सकता है और न ही यह बदलते समय व स्थिति में नया सामाजिक क्रम बनाने में मदद करेगा।”

भागवत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले की वजह से सबरीमाला में बुधवार को जो स्थिति दिखाई दी, उसका कारण सिर्फ यह है कि समाज ने उस परंपरा को स्वीकार किया था और लगातार कई सालों से पालन होती आ रही परंपरा पर विचार नहीं किया गया।

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उन्होंने कहा, “लैंगिक समानता का विचार अच्छा है। हालांकि, इस परंपरा का पालन कर रहे अनुयायियों से चर्चा की जानी चाहिए थी। करोड़ों भक्तों के विश्वास पर विचार नहीं किया गया।”

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