बसंत पंचमी पर क्या होता है पीले रंग का महत्व

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है. मां सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है. विधिवत मां की पूजा करने पर विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान प्राप्त होता है. बसंत ऋतु को सभी मौसमों का राजा माना जाता है, इस मौसम में न तो चिलचिलाती धूप होती है, न सर्दी और न ही बारीश, वसंत में पेड़-पौधों पर ताजे फल और फूल खिलते हैं. पीले रंग को बसंत का प्रतीक मानते है.

पीले रंग

इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते है, पतंग उड़ाते है और मीठे पीले रंग के चावल का सेवन करते है.

इस त्यौहार पर पीले रंग का महत्व बताया गया है. बसंत का पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा, प्रकाश और आशीर्वाद का प्रतीक है. इसलिए इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनते और व्यंजन बनाते हैं.

बसंत पंचमी पर सब कुछ पीला दिखाई देता है. पीला रंग हिन्दुओं में शुभ माना जाता है. पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है. यह सादगी और निर्मलता को दर्शाता है.

बसंत ऋतु पर सरसों की फसलें खेतों में लहराती हैं. फसल पकती है और पेड़-पौधों में नई कोपलें फूटती हैं. प्रकृति खेतों को पीले-सुनहरे रंगों से सजा देती है, जिससे पृथ्वी पीली दिखती है. बसंत का स्वागत करने के लिए पहनावा लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं. पीला रंग उत्फुल्लता, हल्केपन खुलेपन और गर्माहट का आभास देता है.

खाने में पीले चावल, पीले लड्डू व केसर युक्त खीर बनाई जाती है.

सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं. प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित करनी चाहिए.

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