Movie Review: एक बार फिर दिखी दमदार एक्‍टिंग लेकिन कहानी कमजोर

बाबूमोशाय बंदूकबाजफिल्म–  बाबूमोशाय बंदूकबाज

रेटिंग– 2.5

सर्टिफिकेट– A

अवधि–   2 घंटा 2 मिनट

स्टार कास्ट– नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, बिदिता बाग़, जतिन गोस्वामी, दिव्‍या दत्‍ता

डायरेक्टर– कुशान नंदी

प्रोड्यूसर– कुशान नंदी, किरण श्‍याम श्रॉफ, अश्मित कुंदर

म्‍यूजिक–  गौरव दगाओंकर

कहानी– फिल्‍म की कहानी बाबू बिहारी (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) पर आधारित है। बाबू बिहारी एक कॉन्‍ट्रैक्‍ट किलर है। वह जीजी (दिव्या दत्ता) के लिए काम करता है। बाबू किसी के आगे दबता नहीं है। वह काफी मनमौजी किस्‍म का है। अपने काम के दौरान उसकी मुलाकात फुलवा (बिदिता) से होती है। दोनों एक दूसरे से प्‍यार करने लगते हैं।

प्यार में पउ़ने के बावजूद बाबू अपने काम को पहले जैसे ही जारी रखता है। फिर बाबू की जिंदगी में बांके बिहारी (जतिन) की एंट्री होती है। बांके हमेशा से बाबू का मुरीद रहता है। वह बाबू का चेला बनकर रहता है। लेकिन अचानक से उसके मुंह खून लग जाता है। उसे कॉन्‍ट्रैक्‍ट किलिंग में मजा आने लगता है और वह बाबू का ओहदा हथियाने की फिराक में जुट जाता है।

एक बार दोनों कुछ कॉन्‍ट्रैक्‍ट मिलते इसे लेकर दोनों में कॉम्‍पटीशन शुरू हो जाता है। इसी दौरान बांके बाबू को मार देता है। यहीं से कहानी में ट्विस्‍ट आता है। कुछ साल बाद बाबू की वापसी होती है। सब उसे जिंदा देखकर चौंक जाते हैं।

बाबू को पता चलता है कि उसके प्‍यार और उसके घर को जलाकर राख कर दिया गया है। इसके बाद वह बदले की आग में जलने लगता है। वह सबसे बदला लेना शुरू करता है। बदला लेने के इस सफर में उसे सामने कई राज़ से पर्दा उठता है। कई ऐसे सच उसके सामने आते हैं, जो उसके पैरों तले जमीन खिसका देते हैं।

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एक्‍टिंग–  नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अपनी हर फिल्‍म से ये साबित करते जा रहे हैं अच्‍छे एक्‍टर का ग्‍लैमरस होना ज़रूरी नहीं हैं। डार्क रंग के हुए तो क्‍या, डिमांड में तो वह ही हैं। नवाज़ुद्दीन की डायलॉग डिलीवरी सुन उनके कायल हो जाएंगे।

बिदिता बाग की एक्‍टिंग ने फिल्म में चित्रांग्‍दा की कमी बिल्‍कुल भी उनहीं खलने दी है। हालांकि उन्‍हें फिल्‍म में ज्‍यादा कुछ करने को नहीं मिला है। जतिन गोस्‍वामी ने भी अपने किरदार को बखूबी दर्शाया है। जतिन की एक्‍टिंग अच्‍छी लगी है। दिव्‍या दत्‍ता और फिलम के बाकी किरदार ठीक ठाक नजर आए हैं।

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डायरेक्शन–  फिल्म की डायरेक्‍शन कुछ खास नहीं हैं। स्‍टोरीलाइन मजेदार नहीं है। कहानी की पकड़ काफी कमजोर है। फिल्‍म की कहानी पुरानी खून खराबे वाली फिल्‍मों से इंस्‍पायर नजर आती है। बाबूमोशाय बंदूकबाज नवाज़ुद्दीन की फिल्‍म गैंग्‍स ऑफ वासेपुर की याद दिलाती है। फिल्म के वनलाइनर्स अच्‍छे हैं।

म्यूजिक– फिल्‍म का म्‍यूजिक कुछ खास नहीं है। फिल्‍म का म्‍यूजिक दर्शकों का दिल जीतने में नाकामाब होता है।

देखें या नहीं–  एक्‍शन फिल्म देखना पसंद है औार नवाज़ुद्दीन की दमदार एक्‍टिंग मिस नहीं करना चाहते हैं तो फिल्म देखने सिनेमाहॉल जा सकते हैं।

https://youtu.be/8Bakp3UKa3c?t=1

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