
नई दिल्ली। समाजसेवी अन्ना हजारे शुक्रवार से दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बार फिर अनशन पर बैठने जा रहे हैं। इस बार भी उनके साथ 2011 जैसी ही कार्यकर्ताओं की एक टीम होगी। लेकिन, इस बार की टीम का हर सदस्य एक शपथपत्र अन्ना को दे चुका है कि वह भविष्य में किसी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा। अन्ना ने यह शपथपत्र अपने कार्यकर्ताओं से इसलिए लिया है ताकि भविष्य में उनके आंदोलन के सहारे नया केजरीवाल, सिसौदिया या किरण बेदी पैदा न हो।
अन्ना हजारे राजघाट पहुंच कर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी और प्रार्थना भी की। महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद अन्ना शहीदी पार्क पहुंचे और भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को भी याद किया। रामलीला मैदान में अन्ना हजारे ने भूख हड़ताल की शुरुआत से पहले मंच से तिरंगा लहराया। इसके बाद अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की शुरुआत कर दी है। अन्ना से हड़ताल से पहले कहा कि, ‘मैंने सरकार को 42 बार पत्र लिखा। मगर सरकार ने नहीं सुनी. अंत में मुझे अनशन पर बैठना पड़ा’।
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सांसदों की सैलरी बढ़ाने पर अन्ना हजारे ने कहा, उनकी सैलरी क्यों बढ़नी चाहिए? वो जनसेवक हैं। वो संसद में काम भी नहीं करते। संसद की कार्यवाही में केवल व्यवधान पैदा करते हैं। मैं भी सरकारी कर्मचारी रहा हूं, लेकिन कभी किसी सुविधा की मांग नहीं की। क्योंकि मैं लोगों की सेवा कर रहा था। ये सैलरी का पैसा किसानों को मिलना चाहिए।
अन्ना के अनुसार, यह अच्छी बात है कि इस बार के आंदोलन में 2011 के आंदोलन का कोई सदस्य नहीं है। हमने नए सदस्यों की एक टीम बनाई है, जिसमें सभी सदस्यों ने यह उक्त शपथपत्र दिया है। इसके बाद ही हमने उन्हें अपने साथ काम करने की अनुमति दी है। शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव के बलिदान दिवस 23 मार्च से शुरू हो रहे अपने आंदोलन के इस चरण के लिए अन्ना ने देशभर में घूम-घूम कर 600 कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की है। इनमें 20 सदस्यों की एक कोर टीम भी बनाई गई है। यह टीम रामलीला मैदान में उसी तरह आंदोलन का संचालन करेगी, जैसे 2011 के आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास और किरण बेदी किया करते थे।
अन्ना का यह आंदोलन केंद्र में लोकपाल एवं सभी राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की मांग के साथ-साथ सिटिजन चार्टर लागू करने एवं किसानों की समस्याओं को केंद्र में रखकर हो रहा है। अन्ना का कहना है कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद वह उन्हें कई बार ये मांगें पूरी करने के लिए पत्र लिख चुके हैं। लेकिन उनके पत्रों के जवाब तक नहीं दिए गए। यहां तक कि दिल्ली में आंदोलन की जगह मांगने के लिए भी पिछले चार महीने में 16 पत्र लिख चुके हैं। अब जाकर सरकार ने उन्हें रामलीला मैदान में आंदोलन की अनुमति दी है। अन्ना की 20 सदस्यीय कोर कमेटी में दो सदस्य शिवाजी खेडकर एवं कल्पना ईनामदार महाराष्ट्र से हैं।
इसी प्रकार कर्नल दिनेश नैन एवं मनींद्र जैन दिल्ली से, विक्रम टापरवाड़ा राजस्थान से, अक्षय कुमार ओडिशा से एवं करणवीर थामन पंजाब से हैं। शिवाजी खेडकर कहते हैं कि आंदोलन दिल्ली और शेष देश में एक साथ शुरू होगा। 2011 जैसा माहौल अभी भले न दिखाई दे रहा हो, लेकिन आंदोलन से जुड़े लोग पूरे देश में लोगों को अन्ना की मांगों के प्रति जागरूक करेंगे।
ये है अन्ना हजारे की 7 मांगें…
- किसानों के कृषि उपज की लागत के आधार पर डेढ़ गुना ज्यादा दाम मिले.
- खेती पर निर्भर 60 साल से ऊपर उम्र वाले किसानों को प्रतिमाह 5 हजार रुपए पेंशन.
- कृषि मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा तथा सम्पूर्ण स्वायत्तता मिले.
- लोकपाल विधेयक पारित हो और लोकपाल कानून तुरंत लागू किया जाए.
- लोकपाल कानून को कमजोर करने वाली धारा 44 और धारा 63 का संशोधन तुरंत रद्द हो.
- हर राज्य में सक्षम लोकायुक्त की नियुक्त किया जाए.
- चुनाव सुधार के लिए सही निर्णय लिया जाए.
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2011 का अन्ना आंदोलन
भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना हजारे ने 16 अगस्त, 2011 से 28 अगस्त, 2011 तक रामलीला मैदान में ही अनशन किया था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कई मामलों के कारण जनता भी बड़ी संख्या में रामलीला मैदान पहुंच रही थी। कहते हैं कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी आंदोलन को परोक्ष समर्थन दे रहे थे। इससे केंद्र को अन्ना की मांगों के सामने झुकना भी पड़ा। संसद में अन्ना के जनलोकपाल बिल सहित कुछ और मांगों पर देर रात तक चर्चा हुई और प्रस्ताव पारित हुआ। अन्ना ने उस समय भी कहा था कि जब तक केंद्र में लोकपाल एवं राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त करने का कानून नहीं बन जाता, वह पूरे देश में भ्रमण करेंगे और जरूरत पड़ने पर पुन: आंदोलन भी करेंगे।