समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बुधवार (8 अक्टूबर 2025) को वरिष्ठ नेता आजम खान से मिलने रामपुर पहुंचेंगे। यह मुलाकात लगभग 23 महीने बाद हो रही है, जब आजम खान सितापुर जेल से रिहा होकर रामपुर लौटे थे। मुलाकात आजम खान के निवास पर होगी, जो लगभग एक घंटे तक चलेगी। आजम ने साफ शब्दों में कहा है कि इस दौरान कोई तीसरा व्यक्ति मौजूद नहीं होगा, न ही कोई अन्य सपा नेता।
यह दौरा बसपा प्रमुख मायावती की 9 अक्टूबर को रामपुर में रैली से ठीक पहले हो रहा है, जिसे सपा के मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति माना जा रहा है।
अखिलेश यादव का रूट और यात्रा योजना
मूल योजना बरेली जाने और वहां से सड़क मार्ग से रामपुर पहुंचने की थी, लेकिन अब इसे बदल दिया गया है। अखिलेश लखनऊ से सुबह करीब 10:30 बजे चार्टर्ड प्लेन से बरेली एयरपोर्ट पहुंचेंगे। वहां से हेलिकॉप्टर द्वारा सीधे रामपुर जाएंगे। बरेली एयरपोर्ट पर वे कुछ स्थानीय सपा नेताओं से संक्षिप्त मुलाकात कर सकते हैं। रामपुर पहुंचने के बाद आजम के साथ बैठक होगी, और दोपहर 3 बजे वे लखनऊ के लिए रवाना हो जाएंगे। यह दौरा अत्यंत गोपनीय रखा गया है, और सपा ने इसे “व्यक्तिगत मुलाकात” बताया है।
आजम खान की शर्तें और बयान
आजम खान ने मुलाकात से पहले शर्त रखी कि वे केवल अखिलेश से ही मिलेंगे। रामपुर से सपा सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “मैं उन्हें नहीं जानता, उनसे मिलने का कोई इरादा नहीं।” आजम ने जेल से रिहाई के बाद मीडिया से कहा था कि वे “बिकाऊ नहीं” हैं और सपा के प्रति वफादार हैं। उन्होंने बसपा में शामिल होने की अफवाहों को खारिज किया। यह मुलाकात आजम के लंबे कानूनी संघर्ष (भूमि हड़पने और भ्रष्टाचार के आरोपों) के बाद उनकी राजनीतिक पुनरागमन का संकेत मानी जा रही है।
सुरक्षा और प्रशासनिक इंतजाम
अखिलेश के दौरे की सूचना पर बरेली और रामपुर प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। बरेली जिले में धारा 163 (अनुच्छेद 144) लागू कर दी गई है, जो अवैध जमावड़ों पर रोक लगाती है। बरेली एयरपोर्ट पर VVIP प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा व्यवस्था है। कुछ रिपोर्ट्स में अटकलें हैं कि लखनऊ में ही अखिलेश को रोका जा सकता है, लेकिन आधिकारिक रूप से कोई ऐसी पुष्टि नहीं हुई। रामपुर में पुलिस फोर्स तैनात है, और आजम के निवास पर भी विशेष निगरानी है।
मुलाकात का महत्व
यह मुलाकात सपा के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। आजम खान, जो मुस्लिम समुदाय के प्रमुख नेता हैं, जेल से रिहा होने के बाद पार्टी से दूरी बना रहे थे। यह आमने-सामने की पहली मुलाकात 23 महीनों में हो रही है, जिसमें गिले-शिकवे दूर करने, पार्टी रणनीति पर चर्चा और मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने की संभावना है।
रामपुर में बसपा की रैली से ठीक पहले यह कदम सपा का संदेश है कि वे आजम को फिर से मुख्यधारा में ला रहे हैं। सपा के अंदर कुछ नेताओं ने पूछा भी है कि इतना विलंब क्यों, लेकिन अखिलेश ने इसे “समयानुकूल” बताया। यह दौरा 2027 यूपी विधानसभा चुनावों की तैयारी का हिस्सा लगता है।





