
नई दिल्ली। बढ़ता प्रदूषण दुनिया के सामने एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। जब भी किसी से पर्यावरण के इस प्रदूषण को कम करने की बात कही जाती है तो प्राया लोग कहते मिलते हैं कि इसका कारण सड़क पर दौड़ती गाड़ियां, कारखानों से निकलते काले धुएं और दिवाली में फूटते पटाखे हैं।
लेकिन आप शायद इस बात से अंजान है कि हम अगर साबून लगाना और डिओ छिड़कना कम कर दें तो हम पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में काफी हद तक मदद कर सकते हैं। जी हां, ये बात सुनने में आपको अजीब जरूर लगेगी पर आगे जो हम आपको बताने जा रहे हैं वो 100 प्रतिशत सच है।
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एक स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है कि परफ्यूम्स, पेंट्स और अन्य कन्ज्यूमर प्रॉडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोलियम आधारित केमिकल्स वोलाटाइल ऑर्गैनिक कंपाउंड्स (वीओसी) छोड़ते हैं जो हवा को प्रदूषित करता है।
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क्योंकि हवा में मौजूद अन्य कणों के साथ मिलकर वीओसी स्मॉग का निर्माण करता है जिससे दमा की समस्या पैदा हो सकती है और इससे फेफड़े भी स्थायी रूप से संक्रमित हो सकते हैं। इस वीओसी में पीएम2.5 नाम का कण भी होता है जिसकी वजह से हार्ट अटैक, आघात और फेफड़े का कैंसर हो सकता है।