अब विदेशी नहीं खरीद पाएंगे भारत का ‘महाराजा’, लग गई मुहर

एयर इंडियानई दिल्ली। केंद्र सरकार बीते काफी समय से एयर इंडिया की बिगड़ी सेहत सुधारने का कोशिशे कर रही थी। जिसके चलते मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयर इंडिया के साथ-साथ देश की एयरलाइन कंपनियों में विदेश निवेश का रास्ता साफ कर दिया है। अब इन कंपनियों में 49 प्रतिशत विदेश से निवेश आ सकेगा।

एयरलाइन कंपनियों 49 फीसदी विदेशी निवेश तय होने से साफ़ हो गया है कि सरकार मैनेजमेंट हिस्सेदारी अपने पास रखना चाहती है।

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लेकिन देश में महाराजा के नाम से पहचान बनाने वाली एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया विदेशी निवेशक क्यों पैसा लगाना चाहेंगे। जबकि कंपनी पहले भारी कर्ज के तले दबी हुई है। नीति आयोग चाहता है कि एयर इंडिया को पूरी तरह से निजी हाथों में सौंपने दिया जाए। जिसके लिए वह सिफारिश कर रहा है।

मौजूदा समय में 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज एयर इंडिया के ऊपर है। लेकिन इन कर्जों के बाद भी एयर इंडिया की कुछ बातें खरीदार को लुभा सकती हैं। आइए जानते हैं।

दरअसल सरकारी विमानन कंपनी के पास 118 एयरक्राफ्ट मौजूदा समय में है। जिससे कंपनी के निवेशकों के पास मौका रहेगा दुनिया के सबसे बड़े बाजार के रुप में विस्तार दे पाए।

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एयरक्राफ्ट के साथ-साथ भारत आने और जाने वाले यात्रियों की पहली पसंद एयर इंडिया होती है। इससे जगजाहिर है कि अधिकतर यात्रियों की पहली पसंद एयर इंडिया होती है। जिससे निवेशकों को एक बड़ा बाजार मिलेगा। साथ ही उसे घरेलू स्तर पर उड़ान के लिए जरूरतों की पूर्ति भी आसानी से पूरी हो जाएगी, इस प्रक्रिया में आमतौर पर वर्षों लगते हैं।

एयर इंडिया की स्थानीय बाजार हिस्सेदारी में तेज गिरावट देखने को मिली है। वहीँ इंडिगों ने इस मामले में काफी तेजी आगे बढ़ी है।

बता दें विमान वाहक कंपनी की हिस्सेदारी भी 12।9 फीसदी पर पहुंच गई है, जो कि पिछले दशक में 35 फीसदी पर थी।

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