सांसदों की चिट्ठियों का ‘इलाज’ कर रहे एम्स के डॉक्टर, कहा- अब और नहीं

एम्सनई दिल्ली। जब देश की राजनीति देश की स्वास्थ व्यवस्था पर बुरा प्रभाव डालने लगे तो इससे बुरी तस्वीर कुछ नहीं हो सकती। शायद यही वजह है कि दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों ने राजनीति के दिग्गजों के सामने घुटने टेक दिए हैं। दरअसल, एम्स में ऐडमिट कराने को लेकर मिलने वाली सिफारिशों से परेशान डॉक्टरों ने सांसदों और विधायकों से अपील की है कि वे सिफारिशें न करें।

सिफारिशों से परेशान डॉक्टरों ने बताया कि, मरीजों को एडमिट करने और उनके इलाज के लिए सांसद और विधायकों की तरफ से उन्हें रोजाना करीब 2 से 4 हजार सिफारिशी लेटर मिलते हैं। इन सिफारिशों से परेशान डॉक्टरों ने कहा कि अगर ‘आप सच में मरीजों की मदद करना चाहते हैं तो अपने क्षेत्र में इलाज की कमी को लेकर प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखें’।

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जानकारी के लिए बता दें कि, मंगलवार को किडनी के एक मरीज के लिए एक सांसद ने सिफारिश पत्र लिख दिया जिसके बाद एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि सिफारिशी पत्रों से मरीज को इलाज तो नहीं मिल पाता है, बल्कि उन्हें परेशानी जरूर हो जाती है।

सांसद और विधायक मरीज को झूठी दिलासा देने के लिए पत्र लिख देते हैं। एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट डॉक्टर हरजीत सिंह भाटी ने कहा कि यह रोज का काम है। हर सांसद और एमएलए अपने लेटर पैड पर किसी की सिफारिश भेज देते हैं। उन्हें यह भी नहीं लगता कि एम्स में सीमित बेड हैं। अगर उनके इलाके में इलाज की सुविधा नहीं है तो जितनी बार एम्स को सिफारिशी पत्र लिखते हैं, उतनी बार पीएम और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर बताएं कि उनके यहां स्वास्थ्य सुविधा नहीं हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते तो उनके इलाके की जनता की परेशानी कभी कम नहीं होने वाली है।

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डॉक्टर भाटी ने कहा कि देशभर के एमएलए और सांसद पत्र लिख देते हैं। औसतन हर दिन दो से चार हजार सिफारिशें आती हैं। दिक्कत यह है कि इलाज करने वाले डॉक्टर उन पत्रों को गंभीरता से नहीं देखते, क्योंकि उनके सामने जो मरीज है, उनके लिए वह अहम होता है। किसी मरीज की जरूरत को टालकर सिफारिश वाले को ऐडमिट करना मुश्किल होता है। ऐसे में उस मरीज की परेशानी और बढ़ जाती है।

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