बड़ा खुलासा, अमेरिकी अधिकारियों की इस हरकत से अफगानिस्तान में मची तबाही

अमेरिका के अधिकारियों ने अफगानिस्तान की सच्चाई को अपनी सरकार से छुपा कर रखा। अमेरिका के अखबार द वाशिंगटन पोस्ट में छपी एक खबर के मुताबिक़ सरकारी दस्तावेजों के आधार पर यह बात सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले 18 सालों से यह सिलसिला चल रहा है। दस्तावेज़ों की माने तो अधिकारियों के पास इस बात के सबूत थे कि अफगानिस्तान में युद्ध नहीं जीता जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद गलत घोषणाएं होती रहीं।

अमेरिकी अखबार के अनुसार इन दस्तावेज़ों को युद्ध में प्रत्यक्ष भूमिका निभाने वाले लोगों से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया। लेकिन अमेरिकी सरकार द्वारा उनकी पहचान गुप्त रखने की कोशिश की गई है जिस वजह से उनका नाम छापा नहीं जा सका है। इसके बावजूद अखबार ने दस्तावेज का सार छापा है, जिसके अनुसार इस बात का खुलासा हुआ है कि अमेरिकी अधिकारियों अपनी सरकार को गुमराह करने की कोशिश की है। वे सरकार से बोलते रहे कि वे युद्ध में आगे बढ़ रही हैं, जबकि हकीकत इससे उलट थी। अधिकारी भी इस बात से भलीभांति परिचित थे।

द वाशिंगटन पोस्ट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ इंटरव्यू के दौरान संबंधित व्यक्तियों ने दो टूक बातें कहीं। उन्होंने अपनी शिकायत, असंतोष और असल हालत का बयान किया। जैसे कि पूर्व राष्ट्रपतियों जॉर्ज बुश जूनियर और बराक ओबामा के कार्यकाल में अफगानिस्तान से संबंधित मामलों के प्रभारी और थ्री स्टार जनरल रहे डगलस लुटे ने 2015 में कहा- “हमारे पास अफगानिस्तान की मूलभूत समझदारी नहीं थी। हमें यही नहीं पता था कि हम क्या कर रहे हैं।” उन्होंने आगे बताय कि, “अफगानिस्तान में हमारी अकुशलता के बारे में अमेरिकी जनता को मालूम होगा, तो वे कहेंगे कि 2,300 सैनिकों की जान बेकार में चली गई। उसके लिए वे अमेरिकी सरकार और कांग्रेस (सांसद) को दोषी ठहराएंगे। ऐसे में यह बताने का कौन साहस करेगा कि ये जानें निरर्थक चली गईं?”

द वाशिंगटन पोस्ट ने यह दावा किया है कि तीनों पूर्व राष्ट्रपतियों- जॉर्ज बुश, बराक ओबामा, और डोनाल्ड ट्रंप- और उनके सैनिक कमांडर वह परिणाम देने में विफल रहे, जिसका वादा उन्होंने अमेरिकी जनता से किया था। इन दस्तावेजों में अफगानिस्तान में फैले व्यापक भ्रष्टाचार का भी जिक्र है। इसकी वजह से भी अमेरिका वह नहीं हासिल कर पाया, जिसके लिए उसने अपना सबसे लंबा युद्ध लड़ा।

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