
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एनआईए की विशेष अदालत ने केरल की दो ननों, सिस्टर प्रीति मैरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस, तथा एक अन्य व्यक्ति सुकमन मंडावी को मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोप में जमानत दे दी। इसके बाद तीनों को दुर्ग केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद केरल भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर और सीपीआई सांसद पी. संदोष कुमार सहित अन्य नेताओं ने उनका स्वागत किया।

यह मामला 25 जुलाई 2025 का है, जब दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नारायणपुर की तीन आदिवासी युवतियों को आगरा ले जा रही दो ननों और सुकमन मंडावी को रोक लिया। बजरंग दल ने आरोप लगाया कि ये तीनों युवतियों को नौकरी के बहाने बहला-फुसलाकर धर्मांतरण और मानव तस्करी की मंशा से आगरा ले जा रहे थे। इसके बाद शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने तीनों को गिरफ्तार कर छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम की धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया और उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया।
जमानत और रिहाई
शुक्रवार (1 अगस्त) को बिलासपुर की एनआईए कोर्ट में सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश सिराजुद्दीन कुरैशी ने तीनों की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। शनिवार को कोर्ट ने सशर्त जमानत मंजूर की। रिहाई के बाद राजीव चंद्रशेखर दुर्ग जेल पहुंचे और ननों को अपनी इनोवा कार में रायपुर ले गए। जमानत की खुशी में केरल के सांसदों और विधायकों ने जेल के बाहर मिठाई बांटकर उत्सव मनाया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने छत्तीसगढ़ से लेकर केरल और दिल्ली तक सियासी तूल पकड़ा। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बजरंग दल पर फर्जी शिकायत का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने दावा किया कि नन केवल तीन युवतियों को आगरा के फातिमा अस्पताल में नौकरी के लिए ले जा रही थीं। कांग्रेस सांसदों, जिसमें हिबी ईडन, बिन्नी बेहनन, और के फ्रांसिस जॉर्ज शामिल थे, ने 29 जुलाई को दुर्ग जेल में ननों से मुलाकात की और आरोपों को झूठा बताया। सीपीआई नेता डी राजा और सीपीआई(एम) की वृंदा करात ने भी ननों की गिरफ्तारी की निंदा की, इसे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करार दिया।
वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने गिरफ्तारी को उचित ठहराया, लेकिन राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि यह मामला गलतफहमी और गलत सूचना का परिणाम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नन मानव तस्करी या धर्मांतरण में शामिल नहीं थीं।
ननों और चर्च का पक्ष
चर्च और ननों ने दावा किया कि वे तीन वयस्क युवतियों को आगरा के फातिमा अस्पताल में नर्सिंग प्रशिक्षण और नौकरी के लिए ले जा रही थीं, और सभी जरूरी दस्तावेज उनके पास थे। युवतियों के परिजनों ने भी धर्मांतरण के आरोपों से इनकार किया और ननों को निर्दोष बताया।
राजीव चंद्रशेखर का बयान
राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “जो कोई भी हमसे मदद मांगता है, चाहे वह किसी भी समुदाय से हो, हम उनकी सहायता करना अपना कर्तव्य समझते हैं। चर्च के सदस्यों ने हमसे संपर्क किया था, और हमने पिछले 6-8 दिनों से उनकी रिहाई के लिए प्रयास किए। मैं इसे राजनीतिक नजरिए से नहीं देखता।”