भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक आक्रामकता तेज करने की योजना बनाई है। सूत्रों के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल 22 मई के बाद एक अंतरराष्ट्रीय आउटरीच कार्यक्रम शुरू करेगा, जिसमें हाल के भारत-पाकिस्तान संघर्ष और भारत के रुख के बारे में विदेशी सरकारों को जानकारी दी जाएगी।

सूत्रों ने बताया कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस विदेश दौरे का समन्वय कर रहे हैं। सांसदों को निमंत्रण भेजे जा चुके हैं। प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में 5-6 सांसद शामिल होंगे, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों का दौरा करेंगे। वरिष्ठ सांसदों, विशेष रूप से एनडीए के सांसदों, को इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
भारत-पाकिस्तान तनाव की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान आधारित आतंकवादियों द्वारा किए गए आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव चरम पर पहुंच गया था। जवाब में, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी शिविरों पर हमला किया। पाकिस्तान ने भारतीय शहरों और सैन्य ठिकानों पर ड्रोन हमलों की कोशिश करके जवाब दिया, जिससे चार दिनों तक युद्ध जैसी स्थिति बनी रही।
10 मई को दोनों देशों के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद तनाव कम करने पर सहमति बनी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार ने सभी दलों की बैठक बुलाकर सुरक्षा स्थिति और आगे की रणनीति पर चर्चा की। इस बैठक में विपक्ष ने पाकिस्तान की आक्रामकता से निपटने में सरकार को समर्थन देने की बात कही।
कूटनीतिक कदम
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कूटनीतिक उपायों की घोषणा की, जिनमें पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना, राजनयिक मिशनों को छोटा करना, land borders और हवाई क्षेत्र बंद करना, व्यापार और कारोबारी संबंधों को निलंबित करना, और सिंधु जल संधि को निलंबित करना शामिल है। भारत ने कई देशों के शीर्ष अधिकारियों और विदेश मंत्रियों के साथ संपर्क कर अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया और इस्लामाबाद के खिलाफ अपने उपायों को तेज किया।